LAC पर मात खाई तो आतंकवाद पर उतर आया चीन! क्या शी ने पाकिस्तान की तरह हार मानकर भुट्टो का फॉर्म्युला अपना लिया?
जम्मू-कश्मीर में दम तोड़ रहे आतंकवाद में फिर से जान फूंकने की कोशिशों में पाकिस्तान को चीन की मदद मिल रही है। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, हाल के वर्षों में सेक्टर में आतंकवादी गतिविधियों में कुछ ज्यादा ही वृद्धि हुई है। ऐसा तब हुआ है जब सेना ने 2020 में चीनी आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए राष्ट्रीय राइफल्स (आरएर) को लद्दाख भेज किया। राष्ट्रीय राइफल्स को स्पेशल काउंटर इंटरजेंसी फोर्स के रूप में जाना जाता है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ लगे विवादित क्षेत्रों में चीन ने हजारों सैनिक भेज दिए तो जवाब में राष्ट्रीय राइफल्स को भेजा गया। रक्षा सूत्रों का कहना है कि चीन अब इस गेम प्लान पर काम कर रहा है कि पुंछ-राजौरी सेक्टर में आतंकवाद को जिंदा कर दिया जाए ताकि भारतीय सेना पर लद्दाख से सैनिकों को हटाने और उन्हें आतंकवाद प्रभावित इलाकों में फिर से तैनात करने का दबाव डाला जा सके। गुरुवार को सेना के दो वाहनों पर आतंकी हमलों में हमारे चार सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए तो सेना ने अभियान छेड़ दिया है। लेकिन हम यहां बात करेंगे कि चीन ने अगर भारत के खिलाफ आतंकवाद का सहारा लेने की सोची है तो क्या वह भी मान चुका है कि भारत के साथ सीधी लड़ाई में वह जीत नहीं सकता जो पाकिस्तान को अच्छी तरह पता हो चुका है?
भारत से मात खा रहे चीन का बदल गया मिजाज?
दरअसल, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सीमा पर तनाव को अपने राजनीतिक और कूटनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। उनके शासन में बड़े-बड़े सीमा विवाद बने रहते हैं। कई सारी बातचीतों के बावजूद, उन्होंने इन तनावों को कम करने की कोशिश नहीं की। चूंकि भारत की सुरक्षा और विदेश नीतियों पर दूसरे तरीकों से दबाव बनाने की उनकी ताकत सीमित है, इसलिए सीमा विवाद उनके लिए भारत का ध्यान खींचने का एक अहम तरीका बन गया। हालांकि, अब यह तरीका धीरे-धीरे कम असरदार होता जा रहा है। भारत जितना ज्यादा अपने सीमावर्ती इलाकों को मजबूत करेगा और अपनी सेना को तैयार करेगा, उतना ही चीन के लिए भारत के खिलाफ सैन्य बढ़त बनाना मुश्किल होगा। गलवान संघर्ष इसका बड़ा उदाहरण है। चीन को अंदाजा भी नहीं होगा कि भारतीय सेना अपने एक सैनिक के बदले उसके तीन सैनिकों को मार गिराएगी। भारत ने गलवान हिंसा में अपने 20 सैनिक खो दिए, लेकिन आज तक चीन की हिम्मत नहीं हो सकी कि वो अपने मारे गए सैनिकों की संख्या बताए। पिछले वर्ष फरवरी में ऑस्ट्रेलियाई अखबार क्लैक्सॉन (Klaxon) में छपी एक खोजी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गलवान में चीन ने भारत के मुकाबले नौ गुना सैनिक खोए थे।



