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लालू-अखिलेश के वोट चंद्रशेखर और मौर्य बना रहे या बिगाड़ रहे? बीजेपी के एंगल से समझिए इनसाइड स्टोरी

बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर हिन्दू धर्मग्रंथों- रामचरित मानस, मनुस्मृति और जाति व्यवस्था पर लगातार विवादित बयान देते रहे हैं। सीएम नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू की आपत्ति को दरकिनार कर वे लगातार बोलते रहे हैं। चंद्रशेखर आरजेडी के नेता हैं। आरजेडी में उनके बयान से सभी नेता इत्तेफाक भी नहीं रखते। आरजेडी के नेता और बिहार के डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव भी चंद्रशेखर को सलाह दे चुके हैं कि वे इन सब लफड़ों में न पड़ें। अपने विभाग के कार्यों पर ध्यान दें। चंद्रशेखर को तेजस्वी यादव का करीबी माना जाता है। इसके बावजूद चंद्रशेखर को किसी की परवाह नहीं। हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का उनका अभियान बदस्तूर है। क्या वजह है कि चंद्रशेखर हिन्दू धर्मग्रंथों और जाति व्यवस्था के इतने खिलाफ हैं ?

मुस्लिम वोटरों पर निशाना!

सियासी गलियारे में यह चर्चा आम है कि चंद्रशेखर अपने मन से कुछ नहीं बोल रहे। यूपी में समाजवादी पार्टी ने जिस तरह स्वामी प्रसाद मौर्य को हिन्दू धर्मग्रंथों के विरोध के लिए खुली छूट दे रखी है, बिहार में वही काम चंद्रशेखर कर रहे हैं। यह भाजपा विरोधी दोनों पार्टियों की रणनीति भी हो सकती है। उधर तमिलनाडु में डीएमके नेताओं- उदयनिधि स्टालिन और ए राजा ने भी सनातन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। चंद्रशेखर जैसे नेताओं के ऐसे बयानों का एक मकसद तो साफ है कि उनका लक्ष्य अल्पसंख्यक तुष्टीकरण है। उन्हें लग रहा होगा कि इससे मुसलमान और ईसाइयों को गोलबंद किया जा सकता है। बीजेपी जिस तरह हिन्दुत्व और सनातन की पक्षधरता के कारण अपने सियासी मकसद में कामयाब रही है, उसी तरह बिहार में चंद्रशेखर को भी शायद यही लगता होगा कि यादवों के वोट तो आरजेडी को छोड़ दूसरे किसी दल को मिलने वाले नहीं, मुसलमानों के थोक वोट भी उनके इस तरह के भड़काऊ बयानों से पार्टी को मिल जाएंगे।

बिहार के यादव-मुस्लिम वोटों पर नजर!

बिहार में यादवों के वोट करीब 15-16 फीसद बताए जाते हैं। मुस्लिम वोटर भी तकरीबन इतने ही आंके गए हैं। आरजेडी का मानना है कि इन दोनों के वोट अगर उसे मिल गए तो अकेले 30 प्रतिशत से अधिक वोट किसके होंगे। बिहार की लोकसभा सीटें जीतने के लिए किसी एक दल को इतने वोटों का मिलना पर्याप्त है। हालांकि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के बिहार में उभार से आरजेडी थोड़ी चिंतित है। बिहार विधानसभा के पिछले चुनाव में ओवैसी की पार्टी के पांच विधायक जीत गए थे। संयोगवश पांचों सीमांचल से ही जीते। घुसपैठ के कारण सीमांचल में मुस्लिम आबादी ने वहां की डेमोग्राफी बदल दी है। अमित शाह की कई सभाएं सीमांचल में हो चुकी हैं। इससे आरजेडी में थोड़ी घबराहट तो है ही। उपचुनावों में गोपालगंज सीट आरजेडी इसलिए नहीं जीत पाया, क्योंकि जीत-हार के अंतर से अधिक वोट तो एआईएमआईएम के कैंडिडेट ने झटक लिए थे। लालू के सत्ता में आने के बाद बिहार में मुस्लिम वोटरों का झुकाव आरजेडी की ओर हो गया था। बाद में भाजपा के सहयोग के साथ के बावजूद नीतीश कुमार ने मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में कर लिया। लालू परिवार से मुस्लिम वोटर छिटक गए। बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद लालू की पार्टी आरजेडी का मुस्लिम-यादव प्रेम एक फिर उफान पर है। मुस्लिम वोटों के बंटवारे का खतरा सिर्फ ओवैसी से है। इसलिए संभव है कि चंद्रशेखर को आरजेडी ने ही ऐसी बयानबाजी की खुली छूट दे रखी हो।

कौन से वोटर होंगे आकर्षित!

रामचरित मानस और मनुस्मृति के खिलाफ चंद्रशेखर अपनी लाइन से हटने को तैयार नहीं हैं। समय-समय पर वे उकसाने वाले बयान देते रहे हैं। 24 दिसंबर 2022 को उन्होंने कहा था कि मनुस्मृति से समाज में विद्वेश फैला। इस विकृति को सबसे पहले बुद्ध और बाद में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने महसूस किया। जातीय भेदभाव के कारण ही बाबा साहब ने मनुस्मृति जलाई थी। चंद्रशेखर ने 11 जनवरी 2023 को कहा कि रामचरित मानस नफरती ग्रंथ है। यह महिलाओं, दलितों और पिछड़ों को पढ़ाई से वंचित करता है। उनका हक दिलाने से रोकता है। 14 सितंबर 2023 को तो चंद्रशेखर ने हद ही कर दी। उन्होंने रामचरित मानस की तुलना पोटैशियम सायनाइड जैसे खतरनाक जहर से कर दी। उन्होंने इसके लिए रामचरित मानस की एक चौपाई का हवाला भी दिया- पूजहि विप्र सकल गुण हीना, शूद्र न पूजहु वेद प्रवीना। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब मैंने इस पर आपत्ति जताई तो मेरी जीभ काट कर लाने वाले को 10 करोड़ का इनाम घोषित कर दिया गया। अब जो कह रहा हूं, उससे तो मेरी गर्दन काटने के लिए इनाम घोषित कर दिया जाएगा।

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