बागेश्वर बाबा मामले में मौका चूक गई आरजेडी! तेजस्वी यादव की एक चाल से ध्वस्त हो जाते विरोधी
तेजस्वी यादव राजनीति तो समझते हैं, लेकिन कूटनीति उन्हें नहीं आती। बागेश्वर धाम के बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के मिलने की इच्छा को ठुकरा देने से ही यह स्पष्ट हो जाता है। बाबा के बिहार आगमन के विरोध में तेज प्रताप यादव समेत आरजेडी के कई नेताओं के लगातार बोलते रहने से हिन्दू वोटरों का बड़ा तबका नाराज है। नाराज हिन्दू वोटरों को पटाने का तेजस्वी यादव के लिए यह बड़ा अवसर था। पहले से ही बीजेपी इसे हिन्दू आस्था पर चोट पहुंचाने वाला आरजेडी का कदम बता रही थी। हिन्दू सेंटीमेंट को भुनाने का यह बढ़िया मौका साबित होता। हालांकि तेजस्वी ने बाबा से न मिलने की घोषणा कर अपने पारंपरिक वोटर- मुसलमान को खुश करने का प्रयास किया है। बंगाल और कर्नाटक के चुनाव परिणामों को देख कर ही शायद तेजस्वी के मन में न मिलने की बात आई हो। क्योंकि उन दो राज्यों में मुसलमान वोटों के ध्रुवीकरण के कारण ही तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस ने बाजी परलट दी थी। बीजेपी अब इसे भुनाने की कोशिश कर रही है।
बागेश्वर बाबा व तेजस्वी मुलाकात को ले हुई नौटंकी
आयोजकों ने बिहार के डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव से मिल कर उनको न्यौता दिया था। उन्होंने तब स्वीकृति दी या नहीं, लेकिन मुलाकात के बाद आय़ोजकों की ओर से यही प्रचारित किया गया कि तेजस्वी यादव बाबा के रहते किसी भी दिन और किसी भी वक्त मिलने जा सकते हैं। यह दावा करने वाले कोई सामान्य आदमी नहीं, बल्कि पूर्व आईपीएस अरविंद ठाकुर थे। इसलिए सबको भरोसा हुआ। शाम होते-होते तेजस्वी यादव ने साफ कर दिया कि उनके पास बिहार के बहुत सारे काम हैं। बाबा से मिलने के लिए उनके पास वक्त नहीं है। आयोजकों की घोषणा पर लोगों में अचानक तेजस्वी के प्रति सम्मान और श्रद्धा का भाव उमड़ने लगा था। लेकिन अचानक ही ब्रेक लग गया।
तेज प्रताप के विरोध पर खामोश थे तेजस्वी यादव
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पटना आगमन को लेकर बिहार की सियासत महीने भर से गर्म थी। आरजेडी के कुछ नेता हत्थे से उखड़ गए थे, जैसे कोई बड़ा दुश्मन हमला बोलने बिहार आ रहा हो। तेज प्रताप की हरकतों को लेकर बीजेपी और उसके सहयोगी-समर्थक लगातार हमलावर बने हुए थे। हालांकि तेज प्रताप के विरोध के बावजूद लालू यादव और तेजस्वी यादव ने खामोशी ओढ़ ली थी। तेजस्वी ने बाबा की आलोचना तो नहीं की कि, लेकिन लालू ने जरूर सवाल खड़ा किया कि वे उन्हें बाबा नहीं मानते। पहले से ही विरोध कर रहे तेज प्रताप ने तो यहां तक कह दिया कि वे देवराहा बाबा को छोड़ किसी बाबा को नहीं मानते।
आरजेडी के नेताओं ने हिन्दू आस्था पर चोट पहंचाई
आरजेडी कोटे से बिहार में शिक्षा मंत्री बने चंद्रशेखर ने रामचिरत मानस और मनुस्मृति को जब नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया था तो इसे हिन्दुओं की आस्था पर चोट पहुंचाने वाला बयान करार दिया गया। आरजेडी के प्रति लोगों में नाराजगी बढ़ गई। उसके बाद लगातार हिन्दुओं की धार्मिक आस्था पर चोट पहुंचाने वाले बयान चंद्रशेखर के अलावा मंत्री सुरेंद्र यादव और जगदानंद सिंह की ओर से आते रहे। बागेश्वर बाबा के विरोध में आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा था कि ऐसे बाबाओं की जगह जेल में होनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया था कि अब तक वे जेल से बाहर कैसे हैं। सुरेंद्र यादव ने तो उन्हें भूत-प्रेत भगाने वाला बाबा बताया था, जिनके दरबार में नाचते-झूमते बहन-बेटियों के वस्त्र खुल जाते हैं। कहा तो यह भी था कि जिस तरह लालकृष्ण आडवाणी को उनकी रथयात्रा रोक कर लालू ने जेल भेजवा दिया था, उसी तरह बागेश्वर बाबा को भी गिरफ्तार कर जेल में डाल देना चाहिए।




