नरसिम्हा राव की पोती को मारने की साजिश… जब मुंबई था खालिस्तानियों का अड्डा और बनाई गई ATS
कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद कनाडा और भारत के रिश्तों में आई तल्खी ने 90 के दशक में मुंबई में खालिस्तानियों से जुड़ीं कई बड़ी घटनाओं की यादें ताजा कर दीं। कनाडा में दो दिन पहले एक और गैंगस्टर सुक्खा दुनेके की हत्या हुई। इसके बाद से खुलकर कहा जाने लगा कि कनाडा भारत में वॉन्टेड अपराधियों और अलगाववादियों के लिए सेफ हेवन बना हुआ है। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि एक समय खालिस्तानी गतिविधियों का मुंबई से गहरा रिश्ता था। यहां तक कि मुंबई का पहला एटीएस इन्हीं से जुड़ी घटना की वजह से बना था। ऐसी ही कुछ बड़ी और सनसनीखेज वारदात पर नज़र डालती है
खूंखार आतंकी बलदेव सिंह की करतूत से जन्मा एटीएस
खालिस्तानी आतंकवाद 90 के दशक में चरम पर था। तब मुंबई पुलिस ने इससे जुड़े कई लोगों को मारा था। रिटायर्ड एसीपी सुनील देशमुख बताते हैं : मुंबई में पहला एटीएस खालिस्तान आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन के लिए ही बनाया गया था। ए.ए.खान इसके चीफ थे। इस एटीएस ने तब अंडरवर्ल्ड के खिलाफ भी कई बड़े ऑपरेशन किए थे। लोखंडवाला का चर्चित एनकाउंटर इसी एटीएस ने किया, जिसमें माया डोलस सहित सात गैंगस्टर मारे गए थे।
देशमुख खालिस्तानी आतंकवादी बलदेव सिंह से जुड़ी घटना बताते हैं। बलदेव सिंह खुद को खालिस्तानी कमांडो फोर्स का मेजर जनरल बताता था। वह मुंबई से उगाही करके सरगनाओं को रकम भेजता था। खुली जीप में एके-47 लेकर घूमता था। 4 दिसंबर 1990 को भांडुप में एक कॉन्स्टेबल ने उसे जब यूं देखा, तो सब-इंस्पेक्टर लखमेर सिंह को बताया। बलदेव ने जीप से ही दोनों को बातचीत करते देख लिया। वहां से भागने के बजाए उसने अगले जंक्शन पर यू टर्न लिया और अंधाधुंध गोलीबारी कर दी। लखमेर सिंह और दो सिपाही मारे गए। उन दिनों मुंबई के पुलिस कमिश्नर राममूर्ति थे। उन्होंने उसी दिन एटीएस बनाने की घोषणा की। यह शूटआउट नॉर्थ रीजन में हुआ था, जिसके अडिशनल कमिश्नर एए खान थे। उन्हें एटीएस चीफ बनाया गया। एक महीने की इनवेस्टिगेशन के बाद एटीएस को इनपुट मिला कि बलदेव सिंह वडोदरा में है। जनवरी, 1991 में एटीएस ने वहां जाकर एनकाउंटर किया जिसमें बलदेव समेत कई आतंकवादी मारे गए।
दादर में दबोचा गया कनिष्क प्लेन ब्लास्ट का आरोपी
1985 में टोरंटो से वाया दिल्ली मुंबई आ रहे एयर इंडिया के कनिष्क प्लेन को लंदन से पहले बम से उड़ा दिया गया था। 329 लोग मारे गए थे। इसके साजिशकर्ताओं में से एक मनजीत सिंह उर्फ लाल सिंह आईएसआई से कनेक्टेड था। आईएसआई ने उससे कहा था कि खालिस्तान बना, तो उसका प्रधानमंत्री उसे ही बनाया जाएगा। 14 अगस्त, 1992 को जांच एजेंसियों को टिप मिली कि वह हथियारों का कन्साइनमेंट लेने अमृतसर से ट्रेन में मुंबई आ रहा है। ट्रेन जिन-जिन शहरों से गुजरी, वहां की पुलिस को अलर्ट किया गया, लेकिन किसी ने यह सोचकर रिस्क नहीं लिया कि उसने गोलियां चला दीं, तो काफी यात्री मारे जाएंगे। आखिरी स्टॉपेज दादर में वह जैसे ही ट्रेन से उतरा, उसे दबोच लिया गया। उसने साइनाइड खाने की कोशिश की। मुंबई पुलिस ने उसे रोका, तो उसने अपने दांतों से जीभ काट ली, ताकि वह बोल न सके। उसकी गिरफ्तारी के बाद गुजरात में भारी संख्या में हथियार व गोलाबारूद बरामद हुए। उसे उस केस में उम्रकैद हुई।
500 का हत्यारा राणा प्रताप भी मुंबई में मरा
राणा प्रताप सिंह खुद को खालिस्तान कमांडो फोर्स का डिप्टी चीफ बताता था। वह पंजाब में 500 लोगों की हत्या का जिम्मेदार था। मुंबई में एंटॉप हिल में एक सरकारी क्वार्टर में अपने एक रिश्तेदार के यहां रहता था। अपनी गाड़ी में वह साइनाइड रखता था। मुंबई एटीएस उस तक पहुंची, तो उसने साइनाइड खाने की कोशिश की। फिर पुलिस फायरिंग का जवाब देने के चक्कर में मारा गया।
जब 18 घंटे चला था एनकाउंटर
भांडुप में अप्रैल, 1992 में हुए एक अन्य एनकाउंटर में खालिस्तान कमांडो फोर्स के सात लोग मारे गए थे। एनकाउंटर 17 से 18 घंटे चला था। इसमें मुंबई पुलिस का सिपाही भी शहीद हुआ था।




