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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने संविधान दिवस पर जिम्मेदारी और अधिकारों को समझने पर दिया जोर.

बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने संविधान दिवस के अवसर पर नागरिकों के अधिकार और जिम्मेदारियों को समझने की आवश्यकता पर बल दिया।

संविधान दिवस, जो 1949 में भारतीय संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के रूप में मनाया गया, पर मुख्यमंत्री ने भारतीय लोकतंत्र के मूल्यों और आदर्शों को संरक्षित करने का आह्वान किया। मुख्य बातें मुख्यमंत्री ने कहा, “संविधान दिवस हमें अधिकारों का उपयोग करने और जिम्मेदारियों का पालन करने की याद दिलाता है।” उन्होंने संविधान के मूल्यों को छात्रों में जागरूक करने के महत्व पर जोर दिया। स्कूलों में संविधान की प्रस्तावना पढ़ाई जाएगी सिद्धारमैया ने घोषणा की कि कर्नाटक के स्कूलों और कॉलेजों में संविधान की प्रस्तावना का पाठ अनिवार्य किया जाएगा। यह पहल छात्रों में सामाजिक न्याय, समानता और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए की गई है। संविधान को बचाने का संकल्प संविधान में बदलाव की बातों पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने हाल ही के बयानों की आलोचना की। “जो लोग सामाजिक न्याय का विरोध करते हैं, वे ही संविधान में बदलाव की बात कर रहे हैं,” उन्होंने कहा। मुख्यमंत्री ने संविधान की रक्षा करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। संविधान और उसके संशोधन सिद्धारमैया ने बताया कि अब तक संविधान में 106 संशोधन किए गए हैं। उन्होंने इसे भारत की समावेशिता और लोकतंत्र का प्रतीक बताया। संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने की अपील मुख्यमंत्री ने केंद्र, राज्य और स्थानीय सरकारों से संविधान के मूल सिद्धांतों को बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि सरकार का कर्तव्य केवल नीतियां बनाना नहीं, बल्कि न्याय और समानता को बढ़ावा देना भी है। संविधान दिवस का महत्व इस वर्ष संविधान दिवस पर भारतीय लोकतंत्र की नींव और मूल्यों को समझने पर जोर दिया गया। “संविधान का सम्मान केवल अधिकारों की बात नहीं है, यह जिम्मेदारियों को निभाने का भी संदेश देता है,” सिद्धारमैया ने कहा। सरकार की प्राथमिकताएं मुख्यमंत्री ने युवाओं को संविधान के प्रति जागरूक बनाने के लिए नई योजनाओं की घोषणा की। उन्होंने संविधान के आदर्शों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्धता जताई। कार्यक्रम का समापन संविधान के महत्व और उसकी प्रासंगिकता पर गहन चर्चा हुई। सामाजिक न्याय, समावेशिता और समानता को बढ़ावा देने का आह्वान किया गया। यह दिवस संविधान के आदर्शों के प्रति जागरूकता और सम्मान का प्रतीक बना। मुख्यमंत्री के उद्धरण “संविधान दिवस अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझने का अवसर है,” सिद्धारमैया ने कहा। “हमारी सरकार संविधान के मूल्यों और आदर्शों की रक्षा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।”

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