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ब्लैक होल के ‘पुरखों’ की खोज, वैज्ञानिकों को मिला सबसे पुराना अंतरिक्ष राक्षस, जानें कितना बड़ा

खगोलविदों ने सुपरमैसिव ब्लैक होल के बारे में एक आश्चर्यजनक खोज की है। यह शुरुआती ब्रह्मांड के बारे में हमारी समझ को बदलता है। यह ब्लैक होल UHZ1 नामक आकाश गंगा में मौजूद है। एक चीज जो इस खोज को अविश्वसनीय बनाता है वह यह कि यह महाविशाल ब्लैक होल वैज्ञानिकों की ओर से खोजा गया अब तक का सबसे पुराना है। सबसे खास बात कि यह बिग बैंग के 47 करोड़ साल बाद ही अस्तित्व में आ गया था। यह वह समय था जब ब्रह्मांड बेहद छोटा था।

इस ब्लैक होल की विशेषता इसका आकार है। इसका आकार लगभग उसी आकाश गंगा के बराबर है, जिसमें यह मौजूद है। ब्लैक होल इतना दूर है कि यहां से रोशनी को पहुंचने में 13.2 अरब वर्ष लग गए। इसे खोजने के लिए गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग के साथ-साथ चंद्रा एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी और जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की संयुक्त शक्ति की जरूरत थी। गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग तब होती है जब आकाश गंगाओं के समूह का बड़ा गुरुत्वाकर्षण अपने चारों और स्पेस और समय को मोड़ देता है।

कैसे हुई खोज?

UHZ1 के मामले में इसका प्रकाश लगभग 3.5 अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित एबेल 2744 नाम की आकाशगंगा समूह के जरिए चार गुना बढ़ाया गया था। इसके कारण जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने आकाश गंगा के प्रकाश को पकड़ा। वहीं चंद्रा ऑब्जर्वेटरी से सुपरमैसिव ब्लैक होल के चारों और घूम रही गैस से होने वाले उत्सर्जन का एक्स-रे मिला। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि UHZ1 में ब्लैक होल का द्रव्यमान हमारे सूर्य से 1 करोड़ से 10 करोड़ गुना ज्यादा है। यह आकाशगंगा UHZ1 के सभी तारों के कुल द्रव्यमान के लगभग समान है।

कैसे बना ब्लैक होल

आम तौर पर एक ब्लैक होल का द्रव्यमान होस्ट आकाशगंगा से अनुपात में बहुत छोटा, लगभग आधा प्रतिशत होता है। इससे पता चलता है कि यह ब्लैक होल और UHZ1 आकाश गंगा अपने शुरुआती चरण में है। ब्लैक होल संभवतः एक विशाल गैस के बादल से बना है। यह खोज बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह इस बात का पुख्ता सबूत देता है कि प्रारंभिक ब्रह्मांड में कुछ सुपरमैसिव ब्लैक होल विशाल गैस के बादलों के जरिए बने थे। यह स्टडी नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशन के लिए स्वीकार की गई है।

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