नए साल पर सूर्य को Aditya L1 का प्रणाम, सौर मिशन की सफलता के बाद इसरो का अगला कदम जानिए
23 अगस्त 2023 और अब 6 जनवरी 2024, अंतरिक्ष की दुनिया में इसरो ने इन दो तारीखों को इतिहास के सुनहरे पन्नों में अंकित करा लिया है। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद नए साल पर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन(ISRO) ने भारतवासियों को एक और गुड न्यूज दी है। भारत का पहला सौर मिशन आदित्य-L1 शनिवार को धूमधाम से सूर्य के चारों ओर एक खास कक्षा में स्थापित हो गया। इस खास कक्षा या कहें आर्बिट को लैग्रेंज प्वाइंट 1 कहते हैं। 2 सितंबर, 2023 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च होने के बाद, आदित्य-L1 ने एक लंबी और मुश्किल यात्रा तय की है। इसके बाद वह अब पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर अपनी सही जगह पर पहुँच पाया है। लेकिन सूर्य की स्टडी के लिए अभी इसरो कुछ और भी करने वाला है। आइए इस विस्तार से समझते हैं।
सफल रहा सौरमिशन, अब आगे क्या?
सफल सौरमिशन के बाद इसरो यहीं बस नहीं रुकने वाला। उसने आगे का भी प्लान किया है। मिली जानकारी के अनुसार, अभी आने वाले समय में आदित्य-L1 कुछ और जरूरी कदम उठाएगा,जिससे उसमें लगे उपकरण ठीक से काम करने लगेंगे। इसके बाद वह लगातार सूरज का डेटा पृथ्वी पर भेज सकेगा। यह भी कहा जा रहा है कि आदित्य एल1 हम सबको सूरज के बारे में ऐसी जानकारियां देगा जो अब तक हम नहीं जानते थे।
आदित्य एल1 को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अंतरिक्ष यान के अंदर लगे एक खास इंजन, 440N लिक्विड अपोजी मोटर (LAM) का इस्तेमाल किया गया। यह इंजन उसी तरह का है जैसा इसरो ने अपने मंगल मिशन (MOM) में इस्तेमाल किया था। यह छोटा लेकिन शक्तिशाली इंजन भविष्य में भी आदित्य-L1 के लिए बहुत मददगार होगा। आठ 22N थ्रस्टर्स और चार 10N थ्रस्टर्स के साथ मिलकर, यह इंजन अंतरिक्ष यान को सही दिशा में रखने और कक्षा में बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह एक किले की तरह काम करेगा जो आदित्य-L1 को और सूर्य पर अपना ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगा। इस सटीक कक्षा में पहुँचने के बाद, आदित्य-L1 अपने मुख्य मिशन की शुरुआत करेगा। वह लगातार सूर्य का अध्ययन करेगा, उसके रहस्यों को दुनिया के सामने लाएगा और हमें उसके बारे में और अधिक जानकारी देगा।



