ईटानगर: एक नए सर्वेक्षण के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश में अब 36 हिम तेंदुए अपना घर बना रहे हैं। ये हिम तेंदुए, ट्रांस-हिमालय के शीर्ष शिकारी हैं और अरुणाचल प्रदेश की अधिकांश जनजातियों के लिए आध्यात्मिक महत्व रखते हैं।
यह एक महत्वपूर्ण खोज है क्योंकि हिम तेंदुए दुनिया में सबसे दुर्लभ और लुप्तप्राय बड़ी बिल्लियों में से एक हैं।
अरुणाचल प्रदेश की अधिकांश जनजातियों में बिल्ली की प्रजातियाँ आध्यात्मिक महत्व के प्रतीक के रूप में विशेष महत्व रखती हैं।
यह खोज क्यों महत्वपूर्ण है?
संरक्षण के लिए आधार: यह सर्वेक्षण हिम तेंदुओं के संरक्षण के लिए एक आधार प्रदान करेगा।
स्थानीय समुदायों का योगदान: यह स्थानीय समुदायों को हिम तेंदुओं के संरक्षण में अधिक सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए प्रेरित करेगा।
पर्यटन: हिम तेंदुओं की उपस्थिति पर्यटन को बढ़ावा दे सकती है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकती है।
हिम तेंदुओं के संरक्षण के लिए क्या किया जा रहा है?
भारत सरकार ने 2008 में हिम तेंदुओं के संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड शुरू किया था। इस परियोजना के तहत, हिम तेंदुओं के निवास स्थान को संरक्षित करने और स्थानीय समुदायों को जागरूक करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं।



