यह सुरंग भारतीय सेना के बख्तरबंद वाहनों की पठानकोट से लेह-लद्दाख तक आवाजाही के लिए अहम मानी जा रही है।
मुख्य बिंदु:
सुरंग का उद्देश्य कुल्लू और मंडी के बीच सड़क संपर्क को बेहतर बनाना है।
इसके पूरा होने पर कुल्लू और धर्मशाला या पठानकोट के बीच की दूरी लगभग 57 किमी कम हो जाएगी।
यह सड़क कुल्लू से शुरू होकर मंडी-पठानकोट नेशनल हाईवे से घाटासनी के पास जुड़ेगी।
यह सड़क मार्ग लाग वैली, भुभु जोत और शिल-बढ़वानी होकर गुजरेगी।
परियोजना का मुख्य उद्देश्य सेना की आपातकालीन गतिविधियों को सुगम बनाना है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने परियोजना की मंजूरी में हो रही देरी पर नाराजगी जताई है।
उन्होंने कहा कि यह परियोजना सेना की रणनीतिक जरूरतों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सुरंग के निर्माण से न केवल सैन्य बल्कि नागरिक यातायात को भी फायदा होगा।
मुख्यमंत्री का कहना है कि इस परियोजना को भाजपा नेता जयराम ठाकुर की ओर से किसी भी तरह का व्यवधान नहीं होना चाहिए।
केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद परियोजना पर तेजी से काम शुरू होने की संभावना है।
सुरंग का निर्माण हिमाचल के सामरिक महत्व को बढ़ाएगा।
इससे कुल्लू और मंडी के बीच आवाजाही के समय में काफी कमी आएगी।
यह परियोजना पर्यटकों और स्थानीय निवासियों के लिए भी लाभकारी साबित होगी।
मुख्यमंत्री ने केंद्र से जल्दी निर्णय लेने की अपील की है।
परियोजना से राज्य की आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा।
सुरंग से पठानकोट से लेह-लद्दाख तक का सैन्य मार्ग अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक होगा।
परियोजना को लेकर स्थानीय जनता भी काफी उत्साहित है।
मुख्यमंत्री ने इस परियोजना को हिमाचल की प्राथमिकता बताया है।
यह परियोजना पर्यावरणीय और भौगोलिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
सरकार को उम्मीद है कि केंद्र जल्द ही परियोजना को मंजूरी देगा।



