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संसद के भीतर जब दिल्‍ली के संग्राम में अटल और नेहरू बन गए ढाल, शाह और ओवैसी के बयानों से समझिए

विपक्ष के भारी विरोध के बावजूद गुरुवार को लोकसभा में दिल्ली सर्विस बिल पारित हो गया। यह बिल दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं का नियंत्रण चुनी हुई राज्य सरकार से छीनकर केंद्र सरकार को सौंपने के लिए लाया गया। लोकसभा में इस पर चर्चा के दौरान एक बेहद दिलचस्‍प देखने को बात मिली। द‍िल्‍ली के संग्राम में नेहरू और अटल को ढाल बनाया गया। गृहमंत्री अमित शाह ने बिल के पक्ष में जहां देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का हवाला दिया। वहीं, विपक्षी दलों ने ब‍िल का व‍िरोध करते हुए पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया। शाह ने कहा कि आजादी के बाद दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के सुझाव का नेहरू, सरदार पटेल और आंबेडकर जैसे नेताओं ने विरोध किया था। वहीं, AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने याद दिलाया कि अटल सरकार ने इसी सदन में दिल्‍ली को पूर्ण राज्‍य का दर्जा दिलाने के लिए बिल पेश किया था। अटल जी चाहते थे कि दिल्‍ली को पूर्ण राज्‍य का दर्जा मिले।

लोकसभा में गुरुवार को ‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) विधेयक 2023’ पर मुहर लग गई। यह दिल्‍ली को लेकर 19 मई को जारी अध्‍यादेश की जगह लेने के लिए लाया गया है। इस अध्‍यादेश के जरिये सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बेअसर किया गया था। देश की सबसे बड़ी अदालत ने दिल्ली के प्रशासनिक अधिकारियों का कंट्रोल दिल्ली की चुनी हुई सरकार को सौंपा था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि दिल्ली की कानून-व्यवस्था, पुलिस और जमीन को छोड़ बाकी किसी भी मामले में उपराज्यपाल को अपनी मर्जी से फैसले करने का अधिकार नहीं होगा। यह और बात है कि केंद्र ने अध्यादेश लाकर इस फैसले को पलट दिया था। इस बिल में दिल्ली में ग्रुप-ए के अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए एक अथॉरिटी के गठन की बात भी कही गई है।

आजादी के बाद दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के सुझाव का पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और डॉ आंबेडकर जैसे नेताओं ने भी विरोध किया था।

गृहमंत्री अमित शाह
शाह ने द‍िया नेहरू का हवाला
दिल्‍ली सर्विस बिल पर लोकसभा में चर्चा के दौरान जो बात सबसे दिलचस्‍पी देखने को मिली वह थी विपक्ष के नेताओं का पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को याद करना। वहीं, गृहमंत्री अमित शाह का जवाहरलाल नेहरू का हवाला देना। बिल के पक्ष में अपनी बात रखते हुए शाह ने कहा कि आजादी के बाद ही दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का सुझाव आया था। लेकिन, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और डॉ. भीमराव आंबेडकर जैसे नेताओं ने इसका विरोध किया था। इस विधेयक में कुछ भी गलत नहीं है। केंद्र शासित प्रदेशों के बारे में कानून और नियम बनाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है।

अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने इसी सदन में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए एक विधेयक पेश किया था। आपकी नीति क्या है?

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी
ओवैसी ने अटल को याद कर क‍िया विरोध
दूसरी तरफ ओवैसी ने बिल का विरोध करते हुए अटल जी को याद किया। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) के नेता ने बिल पर बहस के दौरान कहा कि यह भयानक और बेतुका है। उन्‍होंने बिल को संघीय ढांचे के खिलाफ करार दिया। ओवैसी ने कहा कि वह इस असंवैधानिक विधेयक का विरोध करते हैं। यह संघवाद का उल्लंघन करता है। संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है। ओवैसी ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने इसी सदन में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए विधेयक पेश किया था। मौजूदा सरकार की नीति क्या है?

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