अपनी अद्वितीय जैव विविधता, समृद्ध पारिस्थितिकी और दुर्लभ प्रजातियों के कारण यह उद्यान अब वैश्विक मान्यता की ओर अग्रसर है।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, जो 1982 में स्थापित हुआ था, छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्थित है। यह उद्यान अपनी गुफाओं, झरनों और जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यहां साल, सागौन, बांस और अन्य दुर्लभ वनस्पतियों के साथ-साथ कई प्रजातियों के जीव-जंतु भी पाए जाते हैं। यहां पाए जाने वाले वन्यजीवों में तेंदुआ, भालू, जंगली बिल्ली, विभिन्न प्रकार के हिरण और दुर्लभ पक्षी शामिल हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, कांगेर घाटी की गुफाएं – जैसे कुटुमसर गुफा, कैलाश गुफा और दंडक गुफा – भूगर्भीय संरचना और जैव विविधता के लिहाज से अद्वितीय हैं। इन गुफाओं में स्थित स्टैलेक्टाइट और स्टैलेग्माइट संरचनाएं इसे और भी खास बनाती हैं। इसके अलावा, तीरथगढ़ जलप्रपात और कांगेर नदी की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को आकर्षित करती है।
छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान की जैव विविधता और प्राकृतिक विरासत इसे विश्व धरोहर का मजबूत दावेदार बनाती है। यह न केवल राज्य की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम होगा।”
यदि कांगेर घाटी को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता मिलती है, तो इससे छत्तीसगढ़ का पर्यटन उद्योग भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा। इससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर राज्य की पहचान भी मजबूत होगी।



