रांची: सरना प्रार्थना सभा ने साफ कर दिया है कि वह इस बंद से दूरी बनाए रखेगा और इसके समर्थन में शामिल नहीं होगा। सभा के अध्यक्ष ने एक बयान जारी कर कहा कि बंद को लेकर उनके संगठन से किसी भी प्रकार की चर्चा या सहमति नहीं ली गई है, इसलिए उन्होंने इससे अलग रहने का निर्णय लिया है।
अध्यक्ष ने कहा कि सरना प्रार्थना सभा का मुख्य उद्देश्य आदिवासी समाज के धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित करना है। उन्होंने कहा कि बंद जैसे आक्रामक कदमों से समाज में अशांति फैलने का खतरा होता है, जिससे आदिवासी समुदाय को नुकसान हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी आंदोलन या विरोध प्रदर्शन का स्वरूप अहिंसक और शांतिपूर्ण होना चाहिए, जिससे समाज में सकारात्मक संदेश जाए।
सरना प्रार्थना सभा के प्रवक्ता ने कहा कि बंद के दौरान होने वाली हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की पूरी जिम्मेदारी आयोजकों की होगी। उन्होंने कहा कि सभा का हमेशा से यही मानना रहा है कि अपने अधिकारों और मांगों को लेकर संवैधानिक तरीकों से आवाज उठानी चाहिए।
आदिवासी संगठनों द्वारा रांची बंद बुलाए जाने के पीछे आदिवासी समुदाय की विभिन्न मांगें हैं, जिनमें भूमि अधिकार, रोजगार के अवसर और पारंपरिक संस्कृति की रक्षा प्रमुख मुद्दे हैं। हालांकि, सरना प्रार्थना सभा का मानना है कि इन मुद्दों को हल करने के लिए बातचीत और शांतिपूर्ण विरोध ही एकमात्र रास्ता है।
सरना प्रार्थना सभा ने आदिवासी समाज से अपील की है कि वे बंद के दौरान शांति बनाए रखें और किसी भी प्रकार की हिंसा या तोड़फोड़ से दूर रहें। सभा ने कहा कि समाज के हित में सभी संगठनों को एकजुट होकर शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में काम करना चाहिए।


