अदालत ने कहा कि यह ‘दुर्भाग्यपूर्ण और भ्रामक’ है कि जो व्यक्ति अब पद पर नहीं हैं, वे भी अपने वाहनों पर राष्ट्रीय प्रतीकों का प्रदर्शन जारी रखते हैं। यह आदेश राष्ट्रीय गौरव और प्रतीकों की गरिमा बनाए रखने के उद्देश्य से पारित किया गया है।
न्यायालय ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा कि राष्ट्रीय प्रतीकों का उपयोग केवल उन व्यक्तियों द्वारा किया जा सकता है जो वर्तमान में संवैधानिक या आधिकारिक पदों पर हैं। पूर्व सांसदों और विधायकों द्वारा इन प्रतीकों का निरंतर उपयोग जनता को भ्रमित कर सकता है और राष्ट्रीय प्रतीकों के महत्व को कम कर सकता है। अदालत ने राज्य सरकार और पुलिस विभाग को यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया है कि इस आदेश का सख्ती से पालन किया जाए।
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय प्रतीकों का अनाधिकृत उपयोग कानून का उल्लंघन है और इसके लिए उचित दंड का प्रावधान है। अदालत ने अधिकारियों को ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है जो अभी भी अपने वाहनों पर राष्ट्रीय प्रतीकों का प्रदर्शन कर रहे हैं। इस फैसले से राष्ट्रीय प्रतीकों की पवित्रता और गरिमा बनी रहेगी और यह सुनिश्चित होगा कि इनका उपयोग केवल अधिकृत व्यक्तियों द्वारा ही किया जाए।


