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मॉनसून की बाढ़ ने नदियों में प्लास्टिक का खतरा बढ़ाया.

तत्काल कार्रवाई की मांग.

नई दिल्ली: जहाँ एक ओर मॉनसून का मौसम जल संसाधनों को फिर से भरने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, वहीं दूसरी ओर यह नदियों में प्लास्टिक प्रदूषण और पर्यावरणKीय गिरावट को बढ़ा रहा है। बाढ़ का पानी अपने साथ बड़ी मात्रा में प्लास्टिक कचरा और अन्य प्रदूषक बहाकर नदियों में ले आता है। यह स्थिति हमारे जल निकायों के लिए एक गंभीर खतरा बन गई है।

नदियों में बाढ़ का पानी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से कचरा, खासकर प्लास्टिक की बोतलें, बैग और रैपर्स, को बहाकर लाता है। यह कचरा नदियों के तल पर जमा हो जाता है, जिससे जलीय जीवन को नुकसान पहुँचता है और नदी के पारिस्थितिक तंत्र को भी प्रभावित करता है। इसके अलावा, यह कचरा बाढ़ के पानी के साथ दूर तक फैलता है, जिससे नए क्षेत्रों में प्रदूषण फैलता है।

विशेषज्ञों ने इस समस्या से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग की है। इसमें बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन, प्लास्टिक का उपयोग कम करना और नदियों की सफाई के लिए विशेष अभियान चलाना शामिल है।

 

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