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बिना अनुमति जंगल भूमि पर निर्माण से सीसीएल अधिकारी घिरे कानूनी विवाद.

डीसी के आदेश पर बालूमाथ सीओ ने दर्ज कराई गंभीर प्राथमिकी.

लातेहार जिले में अवैध निर्माण का मामला प्रशासन के संज्ञान में आते ही तूल पकड़ चुका है। जांच में पता चला कि सीसीएल के मगध–संगमित्रा क्षेत्र में जंगल जमीन पर साइडिंग का निर्माण कराया जा रहा था। यह निर्माण लगभग 6.95 हेक्टेयर क्षेत्र में चल रहा था। वन विभाग ने इसे वन संरक्षण अधिनियम 1980 का स्पष्ट उल्लंघन माना। डीसी ने रिपोर्ट आने के बाद तत्काल कार्रवाई का निर्देश दिया। इसके बाद सीओ बालेश्वर राम ने थाना जाकर विस्तृत आवेदन दिया। आवेदन में आरोपियों का नाम और पूरे घटनाक्रम की जानकारी दर्ज की गई। अधिकारियों की ओर से निर्माण को लेकर कोई वैध अनुमति प्रस्तुत नहीं की गई। इस वजह से मामला और गंभीर हो गया।

सीओ ने आवेदन में स्पष्ट किया कि यह निर्माण पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों के नियमों का पालन जरूरी है। ऐसे क्षेत्र में कोई भी निर्माण महत्वपूर्ण संवेदनशीलता की मांग करता है। लेकिन सीसीएल प्रबंधन ने इसका पालन नहीं किया। वन प्रमंडल पदाधिकारी की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जमीन की प्रकृति बदली जा रही थी। इस कारण साइडिंग निर्माण पर तत्काल रोक की आवश्यकता थी। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आधिकारिक रूप से एफआईआर दर्ज की। इसमें जीएम चितरंजन कुमार और पीओ सत्यनारायण को आरोपी बनाया गया।

थाना प्रभारी ने कहा कि मामले की जांच कई चरणों में की जाएगी। निर्माण स्थल का निरीक्षण भी कराया जाएगा। दस्तावेजों की जांच के बाद अनुमति से संबंधित सभी पहलुओं पर निर्णय लिया जाएगा। यदि अवैधता साबित हुई तो कानूनी दंड सुनिश्चित है। फिलहाल पुलिस टीम दस्तावेज एकत्रित कर रही है। प्रशासन का रुख बिल्कुल स्पष्ट है कि वन भूमि से छेड़छाड़ पर कोई समझौता नहीं होगा। पर्यावरण के संरक्षण को सर्वोच्च माना जा रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्चस्तरीय निगरानी भी की जा रही है। आने वाले दिनों में इस मामले पर और कार्रवाई संभव है।

 

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