गिरिडीह जिले में न्यायिक अधिकारी द्वारा दर्ज मानहानि मामले में एक बड़ा अपडेट सामने आया है। यह मामला जुलाई 2020 में सामने आया था। तत्कालीन सब-जज चतुर्थ मोहम्मद नईम अंसारी ने शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि गलत खबर प्रकाशित कर उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया गया। उन्होंने इसे जानबूझकर की गई साजिश बताया था। पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद जांच शुरू की। जांच में उनके आरोपों को आधार मिला। पुलिस ने इसकी पुष्टि करते हुए अगस्त 2023 में आरोप पत्र दायर किया। अदालत ने सितंबर 2023 में मामले का संज्ञान लिया।
अदालत ने अभियुक्तों को तलब किया था। तीन अभियुक्त पहले ही जमानत पर थे। लेकिन पत्रकार बार-बार अदालत में उपस्थित नहीं हुए। अदालत ने इस पर गंभीरता दिखाते हुए पहले जमानती वारंट जारी किया। इसके बाद भी अनुपस्थिति बनी रहने पर गैर जमानती वारंट जारी किया। इस स्थिति के बाद पत्रकार ने अदालत में समर्पण किया। उन्होंने जमानत आवेदन दिया। न्यायिक दंडाधिकारी ने उनकी अर्जी पर सुनवाई की। मामले के दस्तावेजों की जांच के बाद अदालत ने राहत प्रदान की। पत्रकार को जमानत मिल गई। इससे उन्हें बड़ी राहत मिली।
अदालत ने कहा कि मुकदमे की आगे की कार्रवाई में अभियुक्त का उपस्थित रहना जरूरी है। पत्रकार को शर्तों के साथ जमानत दी गई है। पुलिस मामले पर आगे की निगरानी बनाए हुए है। न्यायपालिका ने स्पष्ट किया है कि मानहानि गंभीर अपराध है। इस मामले ने मीडिया जगत में भी चर्चा पैदा की है। लोग इसे मीडिया की जिम्मेदारी और नैतिकता से जोड़कर देख रहे हैं। यह मामला आने वाले समय में नए मोड़ ले सकता है। अदालत की प्रक्रिया अभी जारी रहेगी। इस फैसले को न्यायिक संतुलन का उचित उदाहरण माना जा रहा है।


