
झारखंड के गढ़वा जिले में मनरेगा के फर्जी वेंडर वन एवं फर्जी सामग्री की आपूर्ति कर करोड़ों रुपए की हेराफेरी करने का मामला सामने आया है। इसमें वैसे लोग भी शामिल हैं जिनका कोई भी प्रतिष्ठान व कोई भी दुकान नहीं है बेबी भिंडर के रूप में रजिस्टर्ड है और बिना सामग्री आपूर्ति किए ही योजना की राशि का बड़ा हिस्सा गटक गए हैं। पंचायत सेवा सहित मुखिया एवं कनीय अभियंता की मिलीभगत इसमें सामने आ रही है। 24 वेंडरों को जिले में चिन्हित किया गया है जिनके द्वारा करोड़ों रुपए की हेरफेर की है।
उपविकास आयुक्त सहित मनरेगा के जिला कार्यक्रम समन्वयक राजेश कुमार ने वेंडरों ,पंचायत सेवक मुखिया एवं कनीय अभियंता की सूची के साथ सभी बीडीओ को उनसे प्रत्येक दिल के एवज में एक ₹1000 जुर्माना की वसूली करने का निर्देश दिया है और इसके अलावा सभी वेंडरों के नाम मनरेगा सॉफ्टवेयर से कंफ्यूज कर दिया गया है बताया जा रहा है कि अब उन सभी के खाते में सामग्री की राशि नहीं भेजी जा सकेगी।
विंडो पर कार्रवाई की गई मेसर्स ओम प्रकाश यादव, मेसर्स शमशाद अंसारी, नसरुल्लाह अंसारी, मैसर्स राजा इंटरप्राइजेज , मो गुलबाग अंसारी कोमा कमल किशोर चौबे कोमा सत्येंद्र शाह , खुशबू इंटरप्राइजेज कोमा न्यू पॉपुलर पावस पावर, प्रताप इंटरप्राइजेज कोमा मैं सर्च नवीन प्रजा देव कोमा मैं सर्च नसीम खान कोमा मैसर्स भाग्यमणि इंटरप्राइजेज,मेसर्स शिवा कंस्ट्रक्शन, मेसर्स शिवा कंस्ट्रक्शन, मेसर्स प्रतीक इंटरप्राइजेज के अलावे माझीआव, बरडीहा, गढ़वा एवं बिशुनपुर के आठ अन्य वंडर भी शामिल है। एक शिकायत के आलोक में सभी 20 प्रखंडों के लिए मनरेगा आयुक्त जांच टीम के द्वारा गठित की गई थी। जांच टीम ने वेंडरों के बताए पते पर जाकर लोकेशन की जानकारी ली उपरोक्त वेंडर का दुकान या प्रतिष्ठान वहां पर नहीं पाया गया जांच शुरू होने के बाद कुछ लोगों ने जैसे तैसे दुकान खोलने के दोस्ती भी पाए गए। रमुना प्रखंड को छोड़कर शेष सभी प्रखंडों की जांच कर ली गई है
वेंडरों के खाते में भी भुगतान पर रोक लगाई गई
गढ़वाल रॉक रॉयल्टी एवं जीएसटी मध्य की बकाया राशि भुगतान नहीं कर पाने से उप विकास आयुक्त ने 72 अन्य वेंडरों के खाते में सामग्री मद की राशि भुगतान करने पर रोक लगा दी है। उल्लेखनीय है कि उल्लेखनीय है कि गढ़वा जिले में कुल 303 वंडर मनरेगा सॉफ्टवेयर में निबंधित है।



