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कभी एक ही तालाब में इंसान और जानवर पीते थे पानी, ललितपुर में जल जीवन मिशन ने बदली तस्वीर

सरकार की जल जीवन मिशन योजना लोगों की प्यास बुझा रही है। कभी पानी के लिए जूझने वाले बुंदेलखंड के जिलों में अब हर घर नल से पानी पहुंच रहा है। ललितपुर के डुलावन और कमरई गांव में पीने के पानी की समस्या नहीं रहेगी। जल जीवन मिशन की योजना से गांव में घर-घर तक नल कनेक्शन पहुंच गए हैं। बहुत जल्द इस गांव में जल की सप्लाई भी पहुंचने वाली है। कभी इस गांव में एकमात्र तालाब पीने के पानी का मुख्य स्त्रोत हुआ करता था। 3000 की आबादी जंगल के बीच स्थित इसी तालाब से पीने का पानी लेती थी। पानी ढोकर लाने के बाद उसे छानकर पीया जाता था। इसी तालाब से पशु पानी पीते थे। कचनौंदा स्कीम से पीने के पानी की सप्लाई करने की योजना यहां अंतिम चरण में पहुंच गई है।ललितपुर से यह गांव 25 किमी दूर है। लोग बताते हैं कि यह गांव उन्‍नति से काफी दूर है। सरकारी स्‍कूल, बिजली तो है पर अन्‍य मूलभूत सुविधाएं अभी भी नहीं हैं। यहां रहने वाले लोग मजदूरी किसानी करते हैं। एक मात्र तालाब है, जो यहां की आबादी को पानी की सुविधा प्रदान करता है। गर्मियों आते ही यहां पानी के लिए त्राहि मचती थी। तालाब में न तो दवा पड़ती है और न कभी सफाई होती थी। इससे बीमारी भी होती थी। रोगों से बचाव के इंतजाम भी नहीं थे। लोग कठिनता से जीवन बिता रहे थे।बता दें कि ललितपुर की कचनौंदा बांध परियोजना से 1,45,324 जनसंख्या को सीधा लाभ मिलेगा। इसमें 25,504 गृह संयोजनों की संख्या है। परियोजना से जुड़े गांवों में घर-घर तक नल कनेक्शन हो गए हैं। कई गांव में पानी सप्लाई भी दी जा रही है। जिन गांव में सप्लाई नहीं पहुंची है बहुत जल्द वहां सप्लाई देने की तैयारी अंतिम चरणों में है। कचनौंदा कलां स्कीम से 62 गांव को पानी की सप्लाई की जाएगी।

पानी की पाइपलाइन पहुंच गई है, पानी की समस्या खत्म होने वाली है- लोग

शशि, पार्वती, लक्ष्‍मी, रामदेवी कहती हैं कि तालाब से पानी भरना पड़ता था। हैण्डपम्प सूख जाते हैं। कुओं में भी पानी नहीं है। पानी की विकट समस्या रहती थी। टैंकर लगते थे जो पानी की आपूर्ति नहीं कर पाते थे। बच्चों की पढ़ाई लिखाई नहीं हो पाती थी। बीमारी भी फैलती थी। अब जल जीवन मिशन की पाइपलाइन पहुंच गई है। पानी की समस्या खत्म होने वाली है।

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