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जेके हाईकोर्ट ने सीआरपीएफ अधिकारी पर पक्षपाती रिपोर्ट रद्द की

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने एक बड़े फैसले में, भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले एक सजायाफ्ता (Decorated) सीआरपीएफ (CRPF) अधिकारी के खिलाफ तैयार की गई 'पक्षपाती' (Biased) और दुर्भावनापूर्ण जांच रिपोर्ट को रद्द कर दिया है।

जस्टिस मोहम्मद अकरम चौधरी की एकल पीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अधिकारी के खिलाफ की गई जांच प्रतिशोध और दुर्भावना से प्रेरित थी। यह फैसला उन अधिकारियों के लिए एक बड़ी राहत है जो अपनी यूनिट में अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठाते हैं।

न्यायमूर्ति चौधरी ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता (CRPF अधिकारी) के प्रति वरिष्ठ अधिकारियों ने जिस तरह का व्यवहार किया, वह स्पष्ट रूप से प्रतिशोध और दुर्भावना (Vindictiveness and Malice) से भरा हुआ था। अधिकारी ने अपनी यूनिट के भीतर चल रहे भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को उजागर किया था, जिसके बाद उन्हें निशाना बनाया गया और उनके खिलाफ कथित तौर पर झूठी और पक्षपातपूर्ण जांच शुरू की गई थी। कोर्ट ने पाया कि जांच प्रक्रिया में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन किया गया था।

कोर्ट ने आदेश दिया है कि सीआरपीएफ अधिकारी के खिलाफ की गई सभी अनुशासनात्मक कार्रवाइयों को तुरंत वापस लिया जाए। यह फैसला सशस्त्र बलों के भीतर भी ईमानदारी और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम करता है। अधिकारी ने कोर्ट के फैसले पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें अंततः न्याय मिला है। इस मामले ने एक बार फिर व्हिसल-ब्लोअर की सुरक्षा और उन्हें परेशान करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित किया है।

 

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