राजनाथ सिंह ने जब मोदी का नाम आगे बढ़ाया तो उनके मन में क्या था, पीएम के लिए कैसे बने संकटमोचक
यूपी के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद राजनाथ केंद्र की राजनीति में ही रम गए। वर्ष 2003 में एक बार उनकी एंट्री अटल सरकार के कैबिनेट में हुई। उन्हें कृषि मंत्री बनाया गया। उनके कार्यकाल में किसान कॉल सेंटर, फार्म इनकम इंश्योरेंस स्कीम, कृषि लोन की ब्याज दर में कमी, फार्मर कमीशन का गठन और फार्म्स इनकम इंश्योरेंस स्कीम को लागू किया। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने लखनऊ लोकसभा सीट से दावा ठोंका और जीत दर्ज करने में कामयाब रहे हैं। वर्ष 2002 से 2008 के बीच वे राज्यसभा सदस्य के रूप में दूसरी बार चुने गए।
दो बार बने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष
लोकसभा चुनाव 2004 में करारी हार के बाद भाजपा को विपक्ष में बैठना पड़ा। लालकृष्ण आडवाणी के मुहम्मद अली जिन्ना पर विवादित बयान देने के बाद सवाल उठने लगे। इस कारण उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद प्रमोद महाजन जैसे नेताओं ने राजनाथ सिंह को पार्टी को हिंदुत्व आइडियोलॉजी पर वापस लाने के लिए तैयार किया। 2005 में भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद राजनाथ सिंह ने साफ किया कि पार्टी अयोध्या में राम जन्मभूमि परिसर पर राम मंदिर के निर्माण की मांग से पीछे नहीं हटेगी। अटल सरकार की विकास योजनाओं और हिंदी विषय पर अपनी बेबाक राय के जरिए उन्होंने पार्टी को एक बार फिर खड़ा करन शुरू किया।
हालांकि, 2009 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा को हार मिली। हालांकि, वे गाजियाबाद लोकसभा सीट से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। राजनाथ सिंह पार्टी अध्यक्ष पद से हट गए। इसके बाद वर्ष 2013 में एक बार फिर नितिन गडकरी के अध्यक्ष पद से हटने के बाद इसे संभाला। वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी अध्यक्ष का पद संभालने के बाद उन्होंने लीडर के नाम पर विचार शुरू किया और भाजपा का चेहरा नरेंद्र मोदी के रूप में बनाने का फैसला लिया।
मोदी सरकार में बने मंत्री
राजनाथ सिंह को मोदी सरकार के दोनों कार्यकाल में अहम जिम्मेदारी मिली। वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा पूर्ण बहुमत से चुनकर आई। राजनाथ सिंह इस सरकार में नंबर दो की भूमिका में दिखे। उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री बनाया गया। इसके बाद 2019 में जब मोदी सरकार दोबारा चुनकर आई तो उन्हें रक्षा मंत्री पद की अहम जिम्मेदारी मिली। दोनों ही पदों पर उनकी काम की छाप दिखती है। पीए मोदी जब भी किसी विवाद में उलझते दिखते हैं तो राजनाथ सामने खड़े हो जाते हैं। किसान आंदोलन के दौरान ‘मैं भी किसान हूं’ वाला बयान हो या राफेल विमान में तिलक और नींबू-मिर्च प्रकरण विवादों से इतर वे पीएम मोदी की राह को आसान करते दिखते हैं।




