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SDM हमारे रिश्तेदार हैं, तुम्हारी कॉलर खिंचवा देंगे….जब चप्पल लेकर बरस पड़ी प्राइमरी स्‍कूल की महिला टीचर

प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका का रौद्र रूप दिखाता एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। शिक्षिका परीक्षा के बीच चप्पल लेकर शिक्षकों पर बरस पड़ी। बीच-बचाव करने आए प्रधानाध्‍यापक को भी उसने नहीं छोड़ा। जो सामने आया उस पर चप्पल बरसा दी। दोनों ओर से तकरार शुरू हो गई। शिक्षिका के साथ उसका पति और अन्य लोग भी मौजूद थे। वे कह रहे थे कि एसडीएम उनके रिश्तेदार हैं। जहां कहते हैं वहां ड्यूटी लगाओ नहीं तो तुम्हारे कॉलर खिंचवा दिए जाएंगे। मामला पुलिस तक पहुंच गया। नौकरी जाने के खतरे के चलते दोनों पक्षों ने समझौता कर लिया है। शिक्षिका के इस वीडियो को शेयर करते हुए यूजर्स तमाम कमेंट कर रहे हैं।मामला ताजगंज क्षेत्र नगर निगम इंटर कॉलेज का है। कॉलेज में डीएलएड की परीक्षाएं चल रही थीं। इसमें एत्मादपुर ब्लॉक के प्राइमरी स्कूल भवाई की शिक्षिका अलका उपाध्याय की ड्यूटी भी लगाई गई थी। प्रधानाध्‍यापक अशोक वर्मा का कहना है कि शिक्षिका सुबह करीब 11 बजे कॉलेज पहुंची थी। उनकी ड्यूटी सकेंड शिफ्ट में थी। आते ही उन्‍होंने ड्यूटी को लेकर झगड़ना शुरू कर दिया। उनके साथ 3-4 अन्य व्यक्ति भी थे। उनमें से एक शिक्षिका का पति था। वह अपनी पत्नी की ड्यटूी विशेष कमरे में लगवाने की जिद कर रहा था। इस बात पर बहस हो रही थी। शिक्षकों से तकरार होने लगी। इसी बीच शिक्षिका अलका उपाध्याय ने चप्पल हाथ में लेकर मारनी शुरू कर दी। जो सामने आया उस पर चप्पलें फेंकने लगी।

पति ने भी किया हंगामा

शिक्षक पंकज ने बताया कि तीन जुलाई से कालेज में डीएलएड की परीक्षाएं शुरू हुई थीं। शनिवार को परीक्षा का अंतिम दिन था। शिक्षिका अलका का शुरू से ही ड्यूटी को लेकर अजीब रवैया रहा था। शनिवार को शिक्षिका का पति परीक्षा के दौरान प्रधानाचार्य कक्ष में घुस आया और आते ही हड़काने लगा। वह कह रहा था कि उसके रिश्तेदार एसडीएम हैं। उसकी पत्‍नी की ड्यूटी विशेष कक्ष में लगाई जाए, नहीं तो तुम्हारे कॉलर खिंचवा दिए जाएंगे।

नौकरी जाने के डर से नहीं दी शिकायत

शिक्षका और उसके पति के हंगामे और मारपीट की सूचना तत्काल डीआईओएस और बीएसए को दी गई, लेकिन कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। इस पर पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस दोनों पक्षों को लेकर थाने पहुंच गई। दोनों एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे थे, लेकिन सरकारी नौकरी जाने के डर से किसी ने लिखित शिकायत नहीं दी और बाद में दोनों पक्षों में समझौता हो गया।

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