झारखंड गुमला की अनाथ दिव्यांग बिटिया असुंता गोल्ड मेडल जीतकर लौटी, दोस्तों से उधार लेकर गई थी नेपाल

झारखंड के गुमला जिला अंतर्गत चैनपुर प्रखंड के छतरपुर गांव निवासी दिव्यांग असुंता टोप्पो अपने दोस्तों से पैसा उधार लेकर भारत – नेपाल पैरा प्रो थ्रो थ्रो बोल प्रतियोगिता में भाग लिया और अपनी प्रतिभा से जीतकर वापस आई. असुंता के पिता जेवियर टोप्पो की मृत्यु बचपन में होने के कारण और घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बावजूद वह अपनी पढ़ाई बीए तक पूरी की. थोड़ी बहुत पुश्तैनी जमीन से आमदनी और दिव्यांगता पेंशन से अपना जीवन यापन करने वाली असुंता पढ़ाई जैसे तैसे कर बीए तक की पढ़ाई की. पैसे की कमी होने के कारण b.Ed नहीं कर पाई. उसका जुनून खेल के प्रति था और इस जुनून को उड़ान उसके कोच मुकेश कंचन से मिली.
कोच मुकेश कंचन के साथ प्रत्येक सप्ताह रांची के मोराबादी स्टेडियम से में प्रैक्टिस करने जाती थी. इसके अलावा असुंता घर पर भी अपना प्रैक्टिस करती थी. अपने इसी जुनून और मेहनत के सहारे पहले असुंता का चयन पैरा सेटिंग वॉलीबॉल टीम में हुआ. 2018 से 19:00 तक राष्ट्रीय स्तर पैरा खेल में शामिल हुए तथा 2019 में प्रतिमा तिर्की की कप्तानी में झारखंड को कांस्य पदक हासिल करवाया और उससे पैरा थ्रो बॉल खेलने का मौका मिला. 2022 दिसंबर में अनीता तिर्की की कप्तानी में पैरा थ्रो बॉल टीम को सिल्वर पदक हासिल करवाया. असुंता के इसी प्रदर्शन की बदौलत 19 से 21 फरवरी 2023 को हुए भारत नेपाल पैरा थ्रो बॉल प्रतियोगिता में उसका चयन भारत की टीम में हुआ. परंतु नेपाल जाने आने और मैच फीस का खर्च 25 से 30,000 होने के कारण असुंता को मदद के लिए सरकारी दरवाजा खटखटाना पड़ा, फिर भी सभी अधिकारियों से गुहार लगाने पर भी कहीं से कोई मदद नहीं हो पाई तो असुंता ने अपने दोस्तों से पैसा उधार लेकर भारत के लिए खेलने नेपाल गई.


