सरकारी राज में जो एयर इंडिया सूखकर हो गई थी छुहारा, वह टाटा के हाथ में कितनी हुई ‘बलवान’?
करीब दो साल बीत चुके हैं। तारीख थी 27 जनवरी। साल था 2022। टाटा ने आधिकारिक तौर पर एयर इंडिया की कमान हाथों में ले ली थी। सरकारी राज में यह एयरलाइन पाई-पाई को मोहताज थी। जिस दिन यह टाटा के हाथों में गई उसी दिन से उम्मीदें बढ़ गईं। माना जाने लगा कि अब इसके सारे कांटे और संकट खत्म हो जाने हैं। एयर इंडिया को बनाने वाला टाटा ग्रुप ही था। दोबारा जब यह उसी ग्रुप के पास गई तो इसे मील का पत्थर माना गया था। दो सालों में एयर इंडिया कितनी बदली है। आइए, यहां इसे जानने की कोशिश करते हैं।
एयर इंडिया सिर्फ एक एयरलाइन नहीं है। यह लाखों लाख भारतीयों के दिलों और दिमाग में खास स्थान रखती है। यह एयरलाइन देश का गौरव रही है। इसे जिंदा रखने के लिए भारतीय टैक्सपेयर्स की खून-पसीने की कमाई लगती रही है। यही वजह है कि इससे एक भावनात्मक लगाव है। इन फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए पैसेंजर्स, कर्मचारियों और कारोबारी नजरिये से एयरलाइन के प्रदर्शन का मूल्यांकन करना जरूरी है।
कारोबार में दिख रहे हैं सकारात्मक संकेत
हालांकि, कारोबार में पूरी तरह बदलाव की उम्मीद करना जल्दबाजी होगी। लेकिन, ग्रोथ के सकारात्मक संकेत हैं। टाटा के नेतृत्व में पहले से बंद कई विमानों को वापस सेवा में लाया गया है। एयर इंडिया अब 117 विमानों का संचालन करती है, जो 50 फीसदी की बढ़ोतरी है। वहीं, एयर इंडिया एक्सप्रेस 63 विमानों का संचालन कर रही है। इस विस्तार ने नए मार्गों में विमान सेवाओं की शुरुआत की है। एयरलाइन अब कुल 84 डेस्टिनेशंस पर सेवा दे रही है। इनमें घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों शामिल हैं।



