पीएम मोदी की अपील को ‘हाथ’ ने बनाया हथियार, ‘FV’ से एमपी में खेल करने का प्लान, बीजेपी से आगे निकली कांग्रेस
वर्ष 2018 के एमपी विधानसभा चुनाव के बाद झटका खा चुकी कांग्रेस इस बार और सजग, सतर्क नजर आ रही है। कई मामलों में कांग्रेस, इस बार बीजेपी से एक कदम आगे निकलती दिख रही है। जहां, कुछ दिनों पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने एक पत्रकार के जवाब में कहा था कि ‘यह वो कमल नाथ 2018 मॉडल था, यह कमल नाथ 2023 का मॉडल है।’ पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम में देखा जाए तो कांग्रेस ने अपनी रणनीति प्रभावी बनानी शुरू कर दी है। बीजेपी जहां महिलाओं की योजनाओं से आगे नहीं निकल पा रही है, वहीं कांग्रेस ने चुनाव में ‘FV’ यानी फर्स्ट वोटर के लिए प्लान बना लिया है। कांग्रेस इसी के सहारे एमपी में खेल करने का प्लान बना रही है। इस के तहत कांग्रेस अब युवाओं पर फोकस करने लगी है।
कांग्रेस ने ऐसे जीता मैदान
दिलचस्प बात तो यह है 25 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में पहली बार वोट करने वाले युवाओं का जिक्र किया। इसके दूसरे ही दिन मध्य प्रदेश कांग्रेस ने ‘फर्स्ट वोट फ़ॉर कांग्रेस’ अभियान शुरू कर दिया। कांग्रेस अब उन मतदाताओं पर फोकस कर रही है, जो पहली बार मतदान करेंगे। यह अभियान कितना जरूरी है, बीजेपी भले इसे नहीं समझ पाई, लेकिन कांग्रेस इसे भुनाने जुट गई है।

क्यों जरूरी हैं ‘पहली बार के मतदाता’
राज्य में अब तक के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में पहली बार वोट करने वाले मतदाताओं की संख्या 18 लाख 86 हजार है। 4 अक्टूबर को आने वाली फाइनल मतदाता सूची में यह आंकड़ा 19 लाख पार जा सकता है। बता दें, मध्य प्रदेश में कुल 230 विधानसभा सीटें हैं। इन सीटों में औसत रूप से 8200 मतदाता हैं, जो पहली बार मतदान करेंगे। कांग्रेस का ‘फर्स्ट वोट फ़ॉर कांग्रेस’ अभियान इनके लिए ही लॉन्च किया गया है। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि साल 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में 85 विधानसभा सीटें ऐसी थीं, जिसमें जीत मार्जिन सिर्फ 8 हजार से 9 हजार से भी कम था। 8 सीटें ऐसी हैं जहां पर 1517 से 511 मतों से ही हार जीत तय हुई। 35 से अधिक ऐसी सीटें थीं, जहां जीत का अंतर 8 हजार से नीचे रहा। बस यही कारण है कि कांग्रेस इस बात को समझ चुकी है कि यह सीटें उसके लिए ‘सोने पे सुहागा’ हो सकती हैं।

बीजेपी के लिए नुकसान क्यों?
मध्य प्रदेश में वर्ष 2003 के बाद से बीजेपी की सरकार है। 2005 से एक ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं। 2018 में कांग्रेस जीती और कमल नाथ सीएम बने, लेकिन डेढ़ साल में ही फिर बीजेपी सरकार बनाती है और सीएम फिर शिवराज सिंह चौहान बन जाते हैं। 18 वर्ष उम्र पार कर रहे युवाओं ने प्रदेश में पूरा समय शिवराज को ही मुख्यमंत्री के तौर पर देखा है।
बीजेपी के लिए दावा फेल
पत्रकार बृजेश मिश्रा कहते हैं कि ‘कार्यकर्ता महाकुंभ’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार मतदान कर रहे युवाओं से आहृवान किया था कि युवा सतर्क रहना। मोदी ने कहा था- ‘आपने हमेशा खुशहाल मध्य प्रदेश देखा है, अपने दादा-दादी, माता-पिता से पूछना, 2003 के पहले कांग्रेस की सरकार में मध्य प्रदेश कितना बदहाल था। न सड़कें थी, न पानी था, प्रदेश बीमारू था।’ प्रधानमंत्री की यह बातें पहली बार वोट कर रहे युवाओं को लुभा पाएंगी, ऐसा लगता नहीं है, क्योंकि युवाओं को नई-नई चीजें देखना पसंद होती हैं, वे तो यही मानकर चल रहे हैं कि 18 साल से शिवराज ही मुख्यमंत्री हैं।

अपील से ज्यादा प्रभावी हो सकता है अभियान
पत्रकार संदीप तिवारी कहते हैं कि कांग्रेस शासनकाल में बिजली संकट, खराब सड़कें सहित कई समस्याओं से इन युवाओं का वास्ता ही नहीं पड़ा। युवाओं को रिझाने के लिए कांग्रेस की ओर से शुरू किया गया अभियान ‘फर्स्ट वोट फ़ॉर कांग्रेस’ की सफलता की गारंटी ज्यादा दिखाई दे रही है, बजाय प्रधानमंत्री की अपील के।



