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ICMR से 81 करोड़ भारतीयों का डेटा लीक, आखिर कैसे होता है ये, समझिए सारा खेल

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद यानी ICMR से 81 करोड़ भारतीयों के डेटा लीक वाली खबर ने हड़कंप मचा दिया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भोपाल में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि लीक के सबूत हैं और जांच चल रही है। हालांकि उन्होंने इस बात से इनकार किया है कि डेटा चोरी हुआ है। राजीव चंद्रशेखर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह स्पष्ट किया कि जितना मुझे जानकारी है,ICMR का डेटा ब्रीच हुआ है न कि चोरी हुआ है।

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प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजीव चंद्रशेखर ने सब बताया
राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भोपाल में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कोविड के दौरान, कई डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से, टीकाकरण, डायगनोसिस ट्रैकिंग हुआ था और यह स्पष्ट रूप से स्वास्थ्य मंत्रालय में और स्वास्थ्य के अलग-अलग, राज्य में भी और केंद्र में भी अलग-अलग डेटाबेस बने थे। डेटाबेस के लिए काफी सारे लोगों को एक्सेस भी दिया गया था। उसमें लीकेज हुआ है। इसके सबूत मिले हैं। अब इसपर इंवेस्टिगेशन चल रही है। सवाल का जवाब देते हुए
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने कहा कि लेकिन मैंने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल के पास होने के समय पर कहा था कि सरकार के सिस्टम में इस नए ढांचे को समायोजित करने में थोड़ा समय लगेगा। मंत्री ने कहा कि डेटा चोरी नहीं हुआ है। मेरे हिसाब से, जो मुझे जानकारी है, डेटा ब्रीच हुआ है।

कैसे हुआ पूरा खेल समझिए
एक अज्ञात व्यक्ति ने डार्क वेब पर 815 मिलियन भारतीय नागरिकों के रिकॉर्ड वाले डेटाबेस को विज्ञापित किया। इसमें आधार और पासपोर्ट की जानकारी के साथ-साथ नाम, फोन नंबर और पते भी शामिल थे। उसने पहले दावा किया था कि डेटा नागरिकों के कोविड-19 परीक्षण विवरण से निकाला गया था, लेकिन बाद में कहा कि उसने इसे किसी अन्य प्लेटफ़ॉर्म से 50,000 डॉलर में खरीदा था। सूत्रों ने न्यूज18 को पुष्टि की है कि डेटा लीक का सटीक स्रोत अभी तक पता नहीं किया गया है क्योंकि डेटा को स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) और ICMR के साथ साझा किया गया था। व्यक्ति ने दावा किया है कि इस डेटा में लगभग 10% (8.5 करोड़) कुल डेटा की आधार जानकारी शामिल है, लेकिन आधार डेटा में कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। आईसीएमआर फरवरी से कई दफे साइबर हमले झेल चुका है और केंद्रीय एजेंसियों के साथ-साथ परिषद को भी इसके बारे में पता था। आईसीएमआर सर्वरों को हैक करने के लिए 6,000 से अधिक प्रयास किए जा चुके हैं।

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