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अगर केजरीवाल गिरफ्तार हुए तो I.N.D.I.A गठबंधन को कैसे होगा नुकसान? जानें NDA को क्या फायदा

पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की घोषणा के बाद से ही एनडीए के साथ ही विपक्षी इंडिया गठबंधन के बीच चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इसके साथ ही दिल्ली में शराब नीति में कथित घोटाले को लेकर ईडी भी अधिक सक्रिय नजर आ रही है। इस मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से भी पूछताछ के लिए समन भेज चुकी है। हालांकि, सीएम केजरीवाल पूछताछ के लिए एजेंसी के कार्यालय नहीं पहुंचे। इसके बदले वे मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए पहुंच गए। विधानसभा चुनावों की बीच शराब घोटाले में ईडी के समन के बाद से सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के कयास लगने भी शुरू हो गए। इस तरह की चर्चा शुरू हो गई कि सिसोदिया के बाद अब केजरीवाल का नंबर है।

केजरीवाल गिरफ्तार हुए तो क्या होगा?

केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर साफ तौर पर तो अभी कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन केजरीवाल जरूर यह मानकर चल रहे हैं कि अपनी गिरफ्तारी के बाद उन्हें लोगों की सहानुभूति मिलेगी। खास बात है कि आम आदमी पहले ही कह चुकी है कि सीएम यदि गिरफ्तार होते हैं तो वो जेल के भीतर से ही सरकार चलाएंगे। हालांकि, पार्टी ऐसा करना चाहती है तो उसे पहले इसके लिए कोर्ट से अनुमति लेनी होगी। इस मामले में क्या-क्या हो सकता है। क्या केजरीवाल कोई रिप्लेसमेंट सीएम चुनेंगे। क्या आतिशी या गोपाल राय केजरीवाल की जगह ले सकते हैं। क्या ऐसा भी हो सकता है कि दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लग सकता है।

इंडिया गठबंधन पर क्या होगा असर?

इस पूरी घटनाक्रम को लेकर वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक नीरजा चौधरी ने अपने एक आलेख में लिखा है कि जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया था। ऐसे में उनकी गिरफ्तारी से कांग्रेस के नेताओं में खुशी हो सकती है। लेख में उन्होंने साल 2024 में केजरीवाल की गिरफ्तारी से लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन पर इसके संभावित असर की भी बात कही है। नीरजा के अनुसार केजरीवाल यदि गिरफ्तार होते हैं तो इंडिया गठबंधन इसे राष्ट्रीय स्तर पर ईडी के दुरुपयोग के रूप में भुनाना चाहेगा। विपक्षी गठबंधन यह देश को बताना चाहेगा कि सुवेंदु अधिकारी, हिमंत बिस्वा सरमा और अजित पवार जैसे नेता बीजेपी में जाते ही पाकसाफ हो जाते हैं। हालांकि, केजरीवाल की गिरफ्तारी से दिल्ली और पंजाब की लड़ाई में इंडिया गठबंधन को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके साथ ही अन्य सहयोगी में भी एक तरह का असंतोष उभर सकता है।

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