‘ और 2026 में लॉन्च के लिए ‘समुद्रयान’ पर काम कर रहा है
राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) गहरे समुद्र में अन्वेषण मिशन पर मत्स्य-6000 पनडुब्बी वाहन के साथ काम कर रहा है और ‘समुद्रजीव:’ मिशन के तहत अपतटीय मछली पालन विकसित कर रहा है। एनआईओटी के निदेशक बालाजी रामकृष्णन ने मंगलवार को आईसीएआर-केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) में ‘नीली अर्थव्यवस्था में मत्स्य पालन की भूमिका’ पर आयोजित पांच दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन के दौरान यह जानकारी दी।
रामकृष्णन ने बताया कि ‘समुद्रयान’ मिशन, जिसके तहत मत्स्य-6000 पनडुब्बी 6,000 मीटर की गहराई तक तीन वैज्ञानिकों को लेकर जाएगी, 2026 के अंत तक लॉन्च होने की उम्मीद है। उन्होंने ‘समुद्रजीव:’ नामक एक नई तकनीक के विकास की भी घोषणा की, जिसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर अपतटीय मछली पालन को बढ़ावा देना है। ‘समुद्रजीव:’ इलेक्ट्रॉनिक रूप से निगरानी किए गए जलमग्न मछली पिंजरों से युक्त है और विभिन्न सेंसरों से लैस है जो मछली के बायोमास, वृद्धि, गति और पानी की गुणवत्ता के मापदंडों की दूरस्थ निगरानी कर सकते हैं। रामकृष्णन ने कहा कि इस तकनीक में भारत की खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता है।
उन्होंने यह भी कहा कि समुद्री मत्स्य पालन क्षेत्र में सतत विकास के लिए ये उभरती प्रौद्योगिकियां महत्वपूर्ण होंगी और देश की नीली अर्थव्यवस्था की पहलों का महत्वपूर्ण समर्थन करेंगी। सीएमएफआरआई के निदेशक डॉ. ग्रिनसन जॉर्ज ने एनआईओटी की तकनीकी प्रगति को सीएमएफआरआई के समुद्री अनुसंधान के साथ एकीकृत करने के महत्व पर जोर दिया, जिसे उन्होंने एक मजबूत नीली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण बताया।



