
रांची: झारखंड में करमा पर्व की धूम
झारखंड में करमा पर्व बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस पर्व पर एक ओर जहां लोग अच्छी फसल की कामना कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बहनों ने अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए उपवास रखा है। आदिवासी और सदान समाज के लोग इस पर्व को सदियों से बड़े श्रद्धा भाव से मनाते आ रहे हैं।
इस पर्व पर घर के आंगन में करम पेड़ की शाखा लगाकर पूजा की जाती है। पूजा के दौरान गेहूं, ज्वार, जौ, मकई, उड़द, और चने के अंकुर को गुड़ के साथ प्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता है। करमा और धरमा से जुड़ी लोक कहानियां सुनाई जाती हैं, जो इस पर्व की महत्वपूर्ण सांस्कृतिक परंपरा हैं। इसके साथ पारंपरिक नृत्य और संगीत का आयोजन भी होता है। टोला और मुहल्लों में आदिवासियों के पवित्र स्थल अखड़ा में सामूहिक नृत्य-संगीत का आनंद लिया जा रहा है।
राज्यपाल संतोष गंगवार ने करमा पर्व के मौके पर राज्यवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि करमा पर्व हमें प्रकृति के संरक्षण का संदेश देता है और भाई-बहन के बीच आपसी सौहार्द और स्नेह का प्रतीक है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी करमा पर्व की शुभकामनाएं दीं और 13 सितंबर को मंईयां सम्मान योजना की दूसरी किस्त जारी कर राज्य की बहनों को इस पर्व की बधाई दी।
वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव की पुत्री निशा उरांव (आईआरएस) ने भी करमा पर्व पर अपनी भावनाएं सोशल मीडिया पर साझा की हैं। उन्होंने लिखा कि आदिवासी समाज का कोई लिखित इतिहास या धार्मिक ग्रंथ नहीं होता, लेकिन पारंपरिक रीति-रिवाज, पूजा, संगीत और नृत्य ही हमारी पहचान और अस्मिता हैं। उन्होंने सभी को करमा पर्व की शुभकामनाएं देते हुए ‘लोक: समस्ता: सुखिनो भवन्तु’ की कामना की है।



