यह मामला 53 वर्षीय प्रभु का है, जिन्होंने सात साल पहले रद्द किए गए टिकटों का रिफंड नहीं मिलने पर उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई थी।
तिरुनेलवेली जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने रेलवे को प्रभु को 25 हजार रुपये का मुआवजा और 5 हजार रुपये का मुकदमे का खर्च देने का आदेश दिया है। आयोग ने कहा कि रेलवे की ओर से रिफंड में देरी की गई है और इससे प्रभु को मानसिक परेशानी हुई है।
क्या है मामला:
प्रभु ने सात साल पहले कुछ ट्रेन टिकट बुक किए थे, लेकिन बाद में उन्हें रद्द करना पड़ा था। हालांकि, रेलवे ने उन्हें टिकट का किराया वापस नहीं किया। इस पर प्रभु ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई।
आयोग का फैसला:
आयोग ने रेलवे की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि रेलवे को रिफंड देने में देरी हुई है और इससे प्रभु को मानसिक परेशानी हुई है। आयोग ने रेलवे को 25 हजार रुपये का मुआवजा और 5 हजार रुपये का मुकदमे का खर्च देने का आदेश दिया।
यह फैसला रेलवे के लिए एक सबक है कि उसे यात्रियों की शिकायतों को गंभीरता से लेना चाहिए और समय पर उनका निवारण करना चाहिए।


