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असम के अभयारण्य में तेल और गैस की खोज को मिली मंजूरी: एक चिंताजनक फैसला.

केंद्र सरकार ने वेदांता समूह की केयर्न ऑयल एंड गैस कंपनी को असम के एक अभयारण्य में तेल और गैस की खोज करने की अनुमति दे दी है।

यह फैसला पर्यावरणविदों और स्थानीय लोगों के लिए काफी चिंता का विषय है। राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) की स्थायी समिति ने 21 दिसंबर को कंपनी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस फैसले का मतलब है कि अब कंपनी अभयारण्य में ड्रिलिंग कर सकती है, जिससे वहां रहने वाले जानवरों और पेड़-पौधों को खतरा पैदा हो सकता है। क्यों है यह फैसला विवादित? अभयारण्य वन्यजीवों का घर होता है। यहां ड्रिलिंग से प्रदूषण फैल सकता है, जिससे जानवरों की जान खतरे में पड़ सकती है। इसके अलावा, इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों का जीवन भी प्रभावित हो सकता है। सरकार का पक्ष सरकार का कहना है कि इस परियोजना से देश को ऊर्जा मिलेगी और देश आत्मनिर्भर बनेगा। सरकार का यह भी दावा है कि कंपनी पर्यावरण का ध्यान रखेगी। विरोध क्यों? पर्यावरणविदों का मानना है कि सरकार को विकास के साथ-साथ पर्यावरण का भी ध्यान रखना चाहिए। वे कहते हैं कि इस तरह की परियोजनाओं से प्राकृतिक संसाधन खत्म हो सकते हैं और भविष्य की पीढ़ियों के लिए समस्या पैदा हो सकती है। आगे क्या होगा? अब देखना होगा कि इस फैसले के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है। पर्यावरणविद और स्थानीय लोग इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जा सकते हैं।

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