उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अपराध, सांप्रदायिकता और भ्रष्टाचार को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया।
भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार में विकास मॉडल पूरी तरह से फेल हो चुका है।
उन्होंने बिहार को झारखंड की तरह विकास की दिशा में आगे बढ़ाने की जरूरत बताई।
उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में जमीन अधिग्रहण नीति कमजोर है, जिससे लोग विस्थापित हो रहे हैं।
“बिहार में मजदूरी दर सबसे कम है, आशा कार्यकर्ताओं को सिर्फ 1,500 रुपये मिलते हैं,” उन्होंने कहा।
भट्टाचार्य ने बिहार के भूमि सर्वेक्षण को असम के NRC के समान बताया।
उन्होंने कहा कि लोगों के पास अपनी जमीन के कागजात नहीं हैं, जिससे असुरक्षा की भावना बढ़ रही है।
“सरकार किसानों की जमीन सड़कों, रेलवे ट्रैक और स्मार्ट सिटी के नाम पर ले रही है, लेकिन उचित मुआवजा नहीं मिल रहा,” उन्होंने आरोप लगाया।
उन्होंने जाति सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा कि 63% परिवारों की मासिक आय 10,000 रुपये से कम है।
भट्टाचार्य ने बिहार में कर्ज संकट को बड़ी समस्या बताया और कहा कि लोग जीवनयापन के लिए कर्ज लेने को मजबूर हैं।
उन्होंने माइक्रोफाइनेंस से जुड़े मुद्दों को भी गंभीर समस्या बताया।
CPI(ML) लिबरेशन पिछले एक साल से पदयात्राओं और जनसंपर्क अभियानों में जुटी है।
यह अभियान 2 मार्च को पटना में होने वाली ‘बदलो बिहार महाजुटान’ रैली के साथ समाप्त होगा।
उन्होंने भाजपा पर झारखंड की तरह बिहार में भी ध्रुवीकरण करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि अगर असली मुद्दे सामने नहीं लाए गए, तो भाजपा कृत्रिम और सांप्रदायिक मुद्दों से चुनावी माहौल बिगाड़ सकती है।
CPI(ML) गरीबों, किसानों और मजदूरों के अधिकारों को लेकर आक्रामक रणनीति बना रही है।
पार्टी ने सरकार पर गरीबों और किसानों की अनदेखी करने का आरोप लगाया।
उन्होंने सरकार से भूमि अधिग्रहण नीति में बदलाव और मजदूरी दर बढ़ाने की मांग की।
बिहार में चुनावी माहौल गरमाने लगा है और राजनीतिक दल अपनी रणनीति को धार दे रहे हैं।



