इस घटना ने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की पारदर्शिता और कॉर्पोरेट अस्पतालों की मनमानी फीस पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जानकारी के मुताबिक, सरकारी डॉक्टर को सीने में दर्द की शिकायत के बाद रांची के एक बड़े कॉर्पोरेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टर को प्रारंभिक जांच के बाद जरूरी दवाइयां दी गईं और कुछ घंटों में उनकी हालत में सुधार हुआ। इसके बाद डॉक्टर को डिस्चार्ज कर दिया गया। लेकिन अस्पताल ने इलाज के 15 घंटे के लिए 50,000 रुपये का बिल थमा दिया, जिसमें डॉक्टर की फीस, दवाइयों और अन्य मेडिकल जांच का खर्च शामिल था।
डॉक्टर ने इतनी भारी रकम पर आपत्ति जताई और अस्पताल प्रशासन से इस पर स्पष्टीकरण मांगा। डॉक्टर का कहना है, “मुझे कोई जटिल इलाज नहीं दिया गया था। इसके बावजूद इतनी अधिक राशि वसूलना पूरी तरह अनुचित है।”
डॉक्टर ने इस मामले की शिकायत झारखंड स्वास्थ्य विभाग से की है। स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। यदि अस्पताल द्वारा नियमों का उल्लंघन किया गया है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
इस घटना ने झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर गंभीर बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य सरकार को कॉर्पोरेट अस्पतालों द्वारा की जा रही मनमानी फीस पर सख्त नियंत्रण के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने की जरूरत है।



