महतो ने विशेष रूप से पत्रकार सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और भाषा संशोधन जैसे विषयों पर अपनी बेबाक राय रखी। उनकी इन मांगों को लेकर सदन में काफी चर्चा हुई और सरकार को भी जवाब देना पड़ा।
पत्रकार सुरक्षा के लिए प्रेस प्रोटेक्शन एक्ट की मांग
विधायक जयराम महतो ने झारखंड में प्रेस प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की जोरदार मांग की। उन्होंने कहा कि जिस तरह से छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून लागू किया गया है, उसी तरह झारखंड में भी ऐसा कानून बनाया जाना चाहिए। महतो ने कहा कि पत्रकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं और उन्हें सुरक्षित माहौल मिलना चाहिए ताकि वे बिना किसी डर के अपनी जिम्मेदारी निभा सकें। उन्होंने मान्यता प्राप्त पत्रकारों को मजीठिया वेतनमान का लाभ देने और टोल प्लाजा पर पत्रकारों को टैक्स में छूट देने की भी मांग की।
स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति पर चिंता
महतो ने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की बदतर स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि झारखंड के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है। अस्पतालों में डॉक्टरों और नर्सों की कमी के कारण मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और सभी जिलों के अस्पतालों में पर्याप्त स्वास्थ्यकर्मियों की नियुक्ति की जाए।
भाषा संशोधन का मुद्दा उठाया
महतो ने झारखंड में भाषा संशोधन का मुद्दा भी जोरदार तरीके से उठाया। उन्होंने कहा कि झारखंड में संथाली, कुड़ुख, नागपुरी, हो और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को सरकारी कामकाज में शामिल किया जाना चाहिए। महतो ने कहा कि इससे राज्य की सांस्कृतिक पहचान को मजबूती मिलेगी और स्थानीय लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में भी आसानी होगी।
मुख्यमंत्री से तीखी नोकझोंक
सत्र के दौरान एक सवाल पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ महतो की तीखी नोकझोंक भी हुई। महतो ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य की जनता को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के वादे पूरे नहीं हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने भी इस पर कड़ा जवाब दिया, जिससे सदन का माहौल गरम हो गया।
विधायक जयराम महतो की इन मांगों से साफ है कि वे झारखंड के स्थानीय मुद्दों को लेकर गंभीर हैं और सरकार से ठोस कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।


