नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार को वाइब्रेंट विलेजेज़ प्रोग्राम-II (VVP-II) को मंजूरी दे दी। यह योजना सीमावर्ती गांवों के समग्र विकास को बढ़ावा देगी और ‘विकसित भारत’ के विजन को सशक्त करेगी।
मुख्य बातें:
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VVP-II के तहत भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे गांवों का समग्र विकास होगा।
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यह योजना 2024-25 से 2028-29 तक लागू रहेगी।
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इसका मुख्य उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों की आबादी को देश की मुख्यधारा में शामिल करना है।
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गांवों के लोगों को ‘सीमा प्रहरी की आंख और कान’ बनाने पर जोर दिया जाएगा।
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योजना का कुल बजट 6,839 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है।
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इसका लाभ 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मिलेगा।
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अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के गांव शामिल होंगे।
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गांवों में आधारभूत संरचना (इन्फ्रास्ट्रक्चर) को विकसित किया जाएगा।
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स्मार्ट क्लास जैसी शैक्षिक सुविधाएं दी जाएंगी।
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पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विशेष सर्किट विकसित किए जाएंगे।
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स्वयं सहायता समूहों (SHGs) और सहकारी समितियों के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाएगा।
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सीमा सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह योजना बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
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गांवों में विविध और टिकाऊ आजीविका के अवसर विकसित किए जाएंगे।
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गांवों में सौर ऊर्जा, सड़क निर्माण और पेयजल आपूर्ति जैसी सुविधाओं पर जोर दिया जाएगा।
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योजना के तहत सीमावर्ती गांवों को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा।
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सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सरकारी योजनाओं से जोड़ने की पहल होगी।
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VVP-I के तहत पहले ही उत्तर भारत के कुछ सीमावर्ती गांवों का विकास हो चुका है।
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अब VVP-II के तहत और अधिक गांवों को इस योजना में शामिल किया जाएगा।
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सरकार का मानना है कि इस योजना से ग्रामीण पलायन रुकेगा।
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इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी और सीमावर्ती क्षेत्रों का संतुलित विकास होगा।



