
धनबाद शहर के लगभग 40 हजार घरों में प्रतिदिन पीने का पानी पहुंचाने वाला नगर निगम खुद पानी की भारी किल्लत से जूझ रहा है। हैरानी की बात यह है कि नगर निगम के प्रधान कार्यालय में आम नागरिकों और कर्मचारियों के लिए पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है।
हर दिन करीब 500 लोग किसी न किसी काम से नगर निगम कार्यालय आते हैं, लेकिन गर्मी के इस मौसम में एक घूंट पानी के लिए भी उन्हें इधर-उधर भटकना पड़ता है। कई बार लोगों को मजबूरन बाहर की दुकानों से पानी की बोतलें खरीदनी पड़ती हैं या फिर प्यासा लौट जाना पड़ता है।
नगर निगम शहर के लिए मैथन जलाशय से 60 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) पानी लाकर घर-घर सप्लाई करता है। लेकिन जिस विभाग की जिम्मेदारी पूरे शहर की प्यास बुझाने की है, वही अपने कार्यालय में पानी जैसी बुनियादी सुविधा उपलब्ध नहीं करा पा रहा है। यह स्थिति न केवल विडंबनात्मक है, बल्कि सरकारी व्यवस्था की उपेक्षा को भी उजागर करती है।
स्थानीय नागरिकों ने इस लापरवाही पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब निगम खुद अपने कर्मचारियों और आगंतुकों को पीने का पानी नहीं दे पा रहा है, तो बाकी शहर की हालत का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है। कुछ लोगों ने इसे शर्मनाक बताया और कहा कि यह जनता की सुविधाओं के प्रति सरकार की संवेदनहीनता का उदाहरण है।
ऐसे में अगर आप धनबाद नगर निगम कार्यालय किसी काम से जाने की सोच रहे हैं, तो सलाह दी जाती है कि अपने साथ पानी की बोतल जरूर लेकर जाएं, क्योंकि वहां आपको पानी मिलना मुश्किल है। यह स्थिति तब और भी गंभीर हो जाती है जब भीषण गर्मी में एक-एक बूंद पानी अमूल्य हो जाती है।