इस्तीफा भी नहीं हुआ और बगावत सोचने वालों का पानी भी नाप दिया! यूं ही सियासत के चाणक्य नहीं कहे जाते शरद पवार
चार दिन तक चले सियासी खेल के बाद एनसीपी चीफ शरद पवार ने शुक्रवार शाम को एक प्रेस कांफ्रेंस में इस बात की घोषणा की, कि वह अपना इस्तीफ़ा वापस ले रहे हैं। शरद पवार के इस फैसले से जहां पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल था। वहीं शरद पवार के भतीजे अजित पवार इस प्रेस कांफ्रेंस में नजर नहीं आये। बहरहाल शरद पवार ने चार दिन के भीतर के यह साबित कर दिया है कि 82 साल की उम्र में भी पार्टी पर उनका अधिकार और प्रभाव कायम है। एनसीपी के इस सियासी एपिसोड में कल तक बीजेपी में जाने की अटकलों वाले अजित पवार की महत्वाकांक्षाओं पर भी पानी फेर दिया है। दरअसल 2 मई के पहले तक अजित पवार के कई विधायकों संग बीजेपी के साथ हाथ मिलाने की अटकलें चल रही थीं। शरद पवार ने भी यह कहा था कि पार्टी के कुछ नेताओं पर दबाव है। ऐसे में वह व्यक्तिगत रूप निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं। शरद पवार ने शायद तब से ही यह प्लानिंग शुरू कर दी थी। जिसका किसी को अंदाजा ही नहीं लगा और देखते ही देखते राजनीति के चाणक्य ने भाकरी (रोटी) फिर दी।
अजित की गैरहाजिरी बनी चर्चा का विषय
इस पूरे घटनाक्रम के आखिरी दिन हुई प्रेस कांफ्रेंस में अजित पवार का न शामिल होना फिर से चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि, जब पत्रकारों ने शरद पवार से अजित पवार की गैरहाजिरी के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि मेरे तमाम सहयोगी यहां हैं, किसी की अनुपस्थित का कोई अन्य अर्थ न निकाला जाए। अजित पवार एनसीपी के बड़े नेता माने जाते हैं। पिछले दिनों जब शरद पवार ने पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ने का ऐलान किया था, तब अजित पवार उनके साथ थे। उन्होंने शरद पवार के अध्यक्ष पद छोड़ने के फैसले का खुलेआम स्वागत कर सबको चौंका दिया था लेकिन शुक्रवार को शरद पवार के पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफे की अपनी पेशकश वापस लेने संबंधी घोषणा के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई, तो उस वक्त अजित पवार उनके साथ नहीं थे।




