World

बिहार में NDA के घटक दलों में सीट बंटवारे का फॉर्म्युला फाइनल! जानिए किस पार्टी को मिल रही कितनी सीटें

लोकसभा चुनाव के बाद यह (बिहार) सरकार अपने वजन से गिरने वाली है और कमल की सरकार बनने वाली है। 40 में से 40 सीटें दीजिए, दंगा करने वालों को उल्टा लटका कर सीधा कर देंगे। बिहार की जनता ने तय कर लिया है कि सभी 40 (लोकसभा) सीटों पर मोदी जी का कमल खिलेगा। अगर किसी को कोई संदेह है कि चुनाव परिणामों के बाद बीजेपी-जेडीयू को फिर से एनडीए में ले जाएगी, तो मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि बीजेपी के दरवाजे उनके (जेडीयू) लिए हमेशा के लिए बंद हो गए हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद यह सरकार गिर जाएगी और भाजपा सरकार बनाएगी। जिस सरकार के पास जंगलराज के लालू प्रसाद यादव की पार्टी है, क्या वह सरकार बिहार में शांति ला सकती है? नीतीश कुमार सत्ता की भूख के कारण लालू प्रसाद यादव की गोद में बैठ गए, हम ‘महागठबंधन’ सरकार को उखाड़ फेंकेंगे। तारीख- 02 अप्रैल, 2023। दिन रविवार। उपरोक्त एक-एक बातें बीजेपी नेता और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नवादा की अपनी जनसभा में कही थी। अमित शाह ने अपने इस बयान से साफ संदेश दे दिया था कि उनकी निगाहें बिहार की 40 सीटों पर लगी हुई है।

बिहार की 40 सीटों पर बीजेपी की निगाहें

सियासी जानकारों के मुताबिक बीजेपी की ओर से बिहार की कई सीटों को लेकर एक इंटरनल सर्वे कराया गया था। उस सर्वे के रिपोर्ट काफी निराशाजनक थे। उस सर्वे में ये पाया गया कि 2019 में जेडीयू के हिस्से गई कई सीटों पर बीजेपी का स्पष्ट जनाधार नहीं है। उन सीटों पर एनडीए को मात खानी पड़ सकती है। यहीं से शुरू हुआ था बीजेपी के अंदर मंथन। मार्च 2023 तक अमित शाह चार बार बिहार का दौरा कर चुके थे। उस सर्वे का असर ये हुआ कि पार्टी की ओर से अपने घटक दलों पर ध्यान देना शुरू कर दिया गया। अमित शाह से लेकर जेपी नड्डा तक ने बिहार में अपने सहयोगियों को अभी से समझाना शुरू कर दिया है। बिहार की 40 सीटों पर कैसे कब्जा करना है। सूत्रों की मानें तो हाल के दिनों में बिहार एनडीए में शामिल घटक दलों के लिए बीजेपी ने सीट शेयरिंग का फॉर्म्युला भी तय कर लिया है। कहा जा रहा है कि बीजेपी की ओर से सब कुछ फिक्स कर दिया गया है। उसी राह पर एनडीए के सभी घटक दलों को चलने को कहा जाएगा। कुछ ऊंच-नीच होती है तो उसे केंद्रीय नेतृत्व की ओर से संभाला जाएगा।

सहयोगियों से सधेगा बिहार

वरिष्ठ पत्रकार धीरेंद्र कहते हैं कि एनडीए के सामने चुनौती 2019 का लोकसभा चुनाव है। 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को 39 सीटें मिली थी। इसमें जेडीयू की हिस्सेदारी भी थी। इस बार जेडीयू साथ नहीं है। एनडीए के साथ होने वाले घटक दल जेडीयू जितने मजबूत नहीं हैं। उन्हें उतनी सीटें बीजेपी नहीं दे सकती है। कुल मिलाकर सहयोगियों में 6 सीटों से लेकर 2 और एक सीटों का वितरण होगा। बाकी सीटों पर बीजेपी को खुद लड़ाई लड़नी होगी। चुनौती यहीं से शुरू होती है। सहयोगियों के अलावा जिन सीटों पर बीजेपी चुनाव लड़ेगी। उसमें सफलता कितनी मिलती है। धीरेंद्र कहते हैं कि घटक दलों के भीतर सीटों को लेकर समझदारी की बात सामने आ रही है। इसकी आधिकारिक पुष्टि किसी की तरफ से नहीं है। हालांकि, चर्चा चल रही है तो इसके पीछे जरूर कुछ न कुछ सच्चाई होगी। सूत्रों की मानें, तो एनडीए में शामिल दलों को कितनी सीटें दी जाएंगी। इसे फिक्स कर लिया गया है। अंदर ही अंदर बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने सीटों का गणित तय कर दिया है। उसी आधार पर बंटवारा होगा।

घटक दलों को पूरी आजादी

एनडीए के मुख्य घटक दलों में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी, चिराग पासवान, पशुपति कुमार पारस और जीतन राम मांझी की पार्टी शामिल होगी। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी की ओर से अपने सहयोगियों को सम्मानजनक सीटें देने की बात तय की गई है। जानकारी के मुताबिक चिराग और पशुपति पारस को पिछली बार की तरह 6 सीटें दी जाएंगी। जिसमें पारस और चिराग तीन-तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेंगे। जीतन राम मांझी की पार्टी दो सीटों से ज्यादा की मांग रखेगी लेकिन उन्हें एक सीट देने की बात तय की जा रही है। उधर, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को 2 सीटें देने की बात कही जा रही है। हालांकि, वरिष्ठ पत्रकार धीरेंद्र कहते हैं कि इस बार वैसा नहीं होगा। उपेंद्र कुशवाहा की हाल में बिहार में पैठ बढ़ी है। उपेंद्र कुशवाहा अपनी मांग बढ़ाएंगे। उसके बाद ये भी कहा जा रहा है कि बीजेपी की ओर से अपने हिस्से के सीट उपेंद्र कुशवाहा को दिए जा सकते हैं। बीजेपी किसी भी सहयोगी को अपने से नाराज नहीं करेगी। सबको उनकी उचित हिस्सेदारी देने की प्लानिंग की गई है। सियासी जानकार मानते हैं कि इस फॉर्म्युले को लेकर बीजेपी कितना आगे तक जा सकती है। ये बाद में पता चलेगा, फिलहाल एक अनुमानित आंकड़ा सामने आ गया है। जिसे लेकर घटक दलों में चर्चा चल रही है।

सीट बंटवारे का फॉर्म्युला तय

सियासी गलियारों में ये भी चर्चा है कि आरसीपी सिंह के जरिए जेडीयू में सेंध लगाने के लिए बीजेपी की ओर से प्रयास जारी है। कहा जा रहा है कि जेडीयू के कई सांसद पाला बदलने की तैयारी में लगे हुए हैं। ये सांसद लगातार बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के संपर्क में हैं। सूत्रों ने बताया कि आरसीपी सिंह के वफादार सांसद बहुत जल्द पार्टी छोड़ देंगे। जैसे ही लोकसभा चुनाव नजदीक आएगा, जेडीयू में टूट की संभावना बढ़ जाएगी। कई सांसद पहले से बीजेपी में जाने का मन बना चुके हैं। आरसीपी सिंह लगातार इसके लिए फील्डिंग कर रहे हैं। इस दौरान ये भी चर्चा है कि बीजेपी अपने मौजूदा सांसदों में से कईयों का टिकट काट सकती है। जेडीयू से आने वाले सांसदों को उन्हीं सीटों पर मैनेज किया जाएगा। जानकारों की मानें तो हाल में निजी चैनलों के सर्वे में बताया गया कि बिहार में एनडीए को 14 सीटें मिलती दिख रही हैं। महागठबंधन यानी ‘इंडिया’ गठबंधन को 26 सीटें मिलेंगी। ये आंकड़ा बीजेपी की चिंता बढ़ा सकता है। कई सर्वे में कहा जा रहा है कि एनडीए को 306 सीटें मिलेंगी। सरकार मोदी की ही बनेगी। हालांकि, सियासी जानकार ये मानते हैं कि बिहार के संदर्भ में नीतीश के अलग होने का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button