World

भारतीयों को नंगे पैर चलते देख आया बिजनस आइडिया, लगा डाली जूतों की फैक्ट्री, रच दिया इतिहास

देश में शायद ही कोई घर ऐसा हो जहां पर किसी ने बाटा के जूते नहीं पहने हों। बाटा कंपनी (Bata) आज भी भारतीयों के लिए उनकी पहचान बनी हुई है। लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि बाटा एक भारतीय ब्रांड नहीं है। लेकिन भारतीयों को बाटा ब्रांड से देसी वाली फीलिंग आती है। बाटा ने काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। कई बार कंपनी बंद होने की कगार पर पहुंची, लेकिन फिर उठ खड़ी हुई। ये कंपनी भारत के मिडिल क्लास लोगों की पहली पसंद के रूप में उभरी है. कई लोग तो बाटा शू कंपनी को भारतीय कंपनी ही समझते हैं, लेकिन ये कंपनी एक MNC कंपनी है। आईए आज आपको बताते हैं कि किस तरह से भारत में बाटा ने सफलता हासिल की। कैसे लोगों का बाटा पर इतना भरोसा बना। बाटा कंपनी की सफलता की पूरी कहानी।

ऐसे हुई शुरुआत

बाटा कंपनी की नींव मध्य यूरोप के चेकोस्लोवाकिया में पड़ी थी। इस कंपनी की शुरुआत साल 1894 में थॉमस बाटा ने की थी। थॉमस बाटा का जन्म एक ऐसे गरीब परिवार में हुआ था जो जूते बनाने का काम करते थे। जब कारोबार चल पड़ा तो उन्होंने कर्ज लेकर इसे और बड़ा बनाने की योजना बनाई। लेकिन हालात बिगड़ गए और बिजनस ठप पड़ गया। कर्ज न चुका पाने के कारण हालत और खराब हो गई। कंपनी को दिवालिया घोषित करना पड़ा। इसके बाद थॉमस इंग्लैंड आ गए और एक जूता कंपनी ने मजदूरी करना शुरू किया। काम करने के दौरान वहां जूते के व्यापार की बारीकियों को समझा और वापस अपने देश लौटकर नए सिरे से काम शुरू किया।

दूसरे देशों में खोले स्टोर

इस बार बिजनस चल पड़ा और थॉमस ने व्यापार बढ़ाने के लिए दूसरे देशों में भी स्टोर खोलने शुरू किए। साल 1925 तक बाटा की दुनिया भर में 122 ब्रांच खुल गईं। अब बाटा जूतों के साथ मोजे और टायर भी बनाने लगी थी, देखते ही देखते एक कंपनी बाटा ग्रुप में तब्दील हो गई थी।

भारत में ऐसे मिली सफलता

भारत में बाटा की कहानी काफी दिलचस्प है। 1920 के दशक में, थॉमस बाटा ब्रिटिश भारत दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने देखा बहुत सारे भारतीय नंगे पैर चल रहे हैं। इससे उन्हें आइडिया आया और अपने व्यापार के लिए सही अवसर के रूप में देखा। साल 1931 में उन्होंने बाटा शू कंपनी प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की थी। साल 1932 में थॉमस की मौत के बाद बाटा को उनके भाई जैन एंटोनिन बाटा ने संभाला था। भारत में अच्छा रिस्पांस मिलने पर उन्होंने साल 1937 में कोलकाता के पास भाटनागर में बड़ी इकाई शुरू की थी। बाटा इंडिया के भारत में 1500 से ज्यादा स्टोर हैं। आज भी बाटा भारत में भरोसे का प्रतीक बनी हुई है।

ऐसे बना पसंदीदा ब्रांड

आज़ाद भारत में बाटा एक देसी ब्रांड बनकर उभरा। अखबारों और मैगजीन्स में बाटा के विज्ञापन छपते रहते थे। बाटा का मुख्य काम लोगों को जूते-चप्पलों की आदत डलवाना था। बाटा का नाम ऐसा था कि भारतीय इसे आसानी से बोल सकते थे। ये सुनने में विदेशी नहीं लगता था। इसलिए लोग यकीन कर पाते थे कि ये तो इंडिया का ही ब्रांड होगा। आज बाटा के जूते-चप्पल लगभग 30,000 अन्य रिटेल जूते की दुकाओं में सप्लाई होते हैं। यानी अगर आपके घर के पास बाटा का शोरूम नहीं है तो मुमकिन है कि पास की छोटी जूते की दुकान पर आपको बाटा के जूते आसानी से मिल जाएं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button