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शिमला के शिव मंदिर ने दिलाई केदारनाथ की याद, 10 साल बाद फिर हुआ ‘चमत्कार’!

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में इस बार बारिश ने जमकर तबाही मचाई है। शिमला के समरहिल में स्थित शिव मंदिर भी इस बारिश का प्रकोप देखने को मिला था। लेकिन शिव मंदिर की ताजा तस्वीरों ने केदारनाथ की याद दिला दी है। दस साल पहले केदारनाथ मंदिर में एक चमत्कार देखने को मिला था। अब हिमाचल में सैलाब से मचे हाहाकार के बीच एक बार फिर चमत्कार हुआ है। समरहिल में हुए लैंडस्लाइड से शिव मंदिर में भारी तबाही हुई है। इस तबाही में 20 लोगों की मौत हो गई। मगर मंदिर में मौजूद भगवान शिव की मूर्ति बिल्कुल सुरक्षित है। उसे एक खरोच तक भी नहीं आई है।

दस साल पहले जब मंदाकिनी ने रौद्र रूप धारण किया था, तब केदारनाथ मंदिर और नदी की धारा के बीच एक शिला आ गई थी और मंदिर सुरक्षित रहा था।अब समरहिल में तबाही के बीच शिव मंदिर में भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति बिल्कुल सही सलामत देखने को मिली है। मंदिर का यह हिस्सा शुरू से ही बाहर की तरफ नजर आ रहा था और इस हिस्से को ज्यादा नुकसान भी नहीं पहुंचा है। मंदिर के गुंबद को भी हल्का सा नुकसान हुआ है। यहां तक की भगवान शिव के सामने रखी पूजा की थाली तक अपनी जगह से टस से मस नहीं हुई। मंदिर में स्थित शिवलिंग भी बिल्कुल सही सलामत ही मिला। इसके साथ ही दीवारों पर रखी भगवान की मूर्तियां तक नहीं हिली।

मंदिर के इस हिस्से के साथ ही शिव बावड़ी है जिसके ऊपर मंदिर के पुजारी का शव बरामद हुआ था। इस पवित्र जगह पर आखिरकार यह हादसा क्यों हुआ यह जांच का विषय है। लेकिन यह हादसा शिमला के लोगों के मन में गहरा घाव करके जरूर गया है, जो कभी भी भर नहीं पाएगा। आने वाले समय में जब लोग इस रास्ते से होकर गुजरेंगे तो तबाही का यह मंजर उन्हें हर बार याद आएगा। इस जगह पर हालात कब सुधरेंगे यह तो कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन जो तबाही यहां पर हुई है उसके बाद मंदिर को फिर से यहां पर बनाना शायद यहां के लोगों के लिए मुश्किल हो पाएगा। स्थानीय लोग फिलहाल यहां पर मंदिर बनाने को लेकर विचार नहीं कर रहे हैं बल्कि जिन लोगों की मौत इस जगह पर हुई है उनके लिए आत्मा की शांति के लिए यहां पर पूजा जरूर की जाएगी।

14 अगस्त को हुआ था लैंडस्लाइड
14 अगस्त के दिन समरहिल के जिसे शिव मंदिर में सब लोग माथा टेकने के लिए पहुंचे थे। वो अपनी खुशहाली और सलामती के लिए पूजा कर रहे थे, उन्हें क्या पता था कि वहीं पर काल उनका इंतजार कर रहा है। सुबह करीब साढ़े 7 बजे आए भूस्खलन में 20 लोगों की जान चली गई। यहां पर हुए भूस्खलन में 11 दिनों तक सर्च ऑपरेशन चला रहा और आखिरी दिन तीन शव क्षत-विक्षत हालत में बरामद हुए। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवानों ने दिन रात मेहनत कर यहां से लापता हुए लोगों के शब्दों को बरामद किया है। यह घटना शिमला के साथ-साथ पूरे देश में ऐसा जख्म करके गई है भर नहीं पाएगा।

11 दिन तक चला सर्च ऑपरेशन
नवभारत टाइम्स ऑनलाइन की टीम मंदिर के पास पहुंची तो चारों तरफ सिर्फ मलवा नजर आ रहा था। मंदिर का कुछ हिस्सा भी दिख रहा था। मौके पर कुछ स्थानीय लोग नजर भी नजर आए। अभी भी जेसीबी मशीन के जरिए रास्ता खोलने का काम किया जा रहा। स्थानीय लोगों से जब हमारी टीम में बातचीत की तो उन्होंने कहा कि यह हादसा समर हिल के लोगों को जीवन भर चैन से रहने नहीं देगा वह जगह जहां पर हर एक मौके पर रौनक होती थी, हर त्यौहार पर जिस जगह पर पूजा अर्चना होती थी, वही जगह 20 लोगों को अपने साथ लेकर चली गई। हादसा इतना भयानक था जो लोगों को सपने में भी डरता रहेगा। इस हादसे में जान गंवाने वाले नीरज के मामा से भी हमारी टीम ने बात की। उन्होंने कहा कि पूरे 11 दिन तक उन्होंने इस ऑपरेशन में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों का साथ दिया। 11 दिन के लंबे सर्च ऑपरेशन के दिन नीरज का शव बरामद हुआ। उन्होंने कहा कि उन्हें यही उम्मीद थी कि शायद नीरज कहीं से बच पाए। उसके ठीक होने की कोई उम्मीद नजर आए। लेकिन जैसे-जैसे बाकी लोगों के क्षत विक्षत हालात में शव बरामद हुए तो वैसे ही अपने भांजे की मिलने की उम्मीद धीरे-धीरे जाती रही।

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