आम आदमी पार्टी की सफलता का राज बना ‘M’ फैक्टर, केजरीवाल के विजय रथ रोकने जा रही कांग्रेस
प्रधानमंत्री, आर्थिक मामलों के जानकार और सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) ने इस बात पर चिंता जाहिर की है कि कई राज्य सरकार जनता को मुफ्तखोर बना रही हैं। ये खतरनाक है। इसे सीधे-सीधे आर्थिक विकास की नीतियों को अपने लक्ष्य से भटकाव कहना ज्यादा उचित होगा। हालांकि जनता को मुफ्त सुविधाएं देने का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है और वित्तीय मामलों के जानकार इसे खतरनाक कदम के रूप में देखते हैं, फिर भी सियासी दल मुफ्त सुविधाएं देने की हड़बड़ी में दिख रहे हैं। भाजपा रेवड़ियां बांटने के खिलाफ है और विपक्षी दल फ्री के प्रति मुखर हैं। दिल्ली, पंजाब और कर्नाटक में मुफ्त बिजली के वादे ने बीजेपी की हवा निकाल दी। अगर इस साल होने वाले चुनावों में गैर भाजपा सरकार ने मुफ्त सुविधाओं-सेवाओं की चाल चली तो बीजेपी के लिए न सिर्फ विधानसभा चुनावों, बल्कि लोकसभा चुनावों में भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
मुफ्त बिजली देने की परिपाटी AAP ने शुरू की
दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने जनता को मुफ्त बिजली-पानी देने का जो सिलसिला शुरू किया, वह अब अधिकतर गैर भाजपा शासित राज्यों में परवान पर है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) ने पहली बार असेंबली इलेक्शन में मुफ्त बिजली-पानी का वादा जनता से किया था। सरकार बनी तो उस पर अमल भी किया। उसके बाद पंजाब में भी मुफ्त की बिजली (एक निश्चित सीमा तक) देने की घोषणा की। वहां भी उसे कामयाबी मिल गई। आप को लगातार इस ‘मुफ्त’ की रेवड़ी से मिल रहे फायदे को देख कर दूसरे राज्यों में सत्ता में बैठी पार्टियों ने भी निश्चित सीमा तक बिजली फ्री करने या सब्सिडी देने का चलन शुरू किया है। कर्नाटक में हाल ही संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 5 गारंटी का वादा किया था। उसमें 200 यूनिट फ्री बिजली देने की भी बात थी। कैबिनेट की पहली ही बैठक में 5 गारंटी स्कीम को सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी गई। यानी वहां भी 200 यूनिट मुफ्त की बिजली जनता को मिलेगी। बिहार में बिजली पर सब्सिडी है तो बंगाल और झारखंड में भी 100 यूनिट तक बिजली मुफ्त मिल रही है।



