दूर- दूर तक नहीं दिखता कोई टीला फिर क्यों इस इलाके को कहते हैं ‘मजनू का टीला’, पढ़िए दिलचस्प कहानी
दिलवालों की दिल्ली इतिहासों का गढ़ कहा जाता है। यहां की ऐतिहासिक जगहों और इमारतों को देखने के लिए देश- विदेश से पर्यटक आते हैं। पर्यटकों की पसंदीदा जगहों में से एक मजनू का टीला भी है। बता दें कि मजनू के टीले में एक छोटी तिब्बती लोगों की दुनिया बसती है लेकिन वहां दूर- दूर तक कोई टीला नजर नहीं आता है। ऐसे में यहां घूमने आए काफी लोगों के मन में ये सवाल जरूर आया होगा कि यहां न तो कई टीला न ही यहां को मजनू रहता है तो कैसे एक धार्मिक जगह का नाम ‘मजनू का टीला’ रख दिया गया ? चलिए फिर जानते हैं क्या है इस नाम के पीछे का राज
क्यों पड़ा इस इलाके का नाम मजनू का टीला

मजनू के टीले के नाम के पीछे की कहानी सिख धर्म से जुड़ी हुई है। दरअसल 19 वीं शताब्दी से भी पहले वक्त से दिल्ली की इस जगह को मजनू का टीला कहा जा रहा है। इतिहासकारों का कहना है कि गुरु नानक सिकंदर लोदी के काल में यहां आए थे। इस दौरान वो एक सूफी फकीर से मिले थे। जो पास में ही एक टीले पर रहता था। उस वक्त यहां के लोग सूफी फकीर को मजनू कहते थे। बस इसी दोनों की वजह से इस जगह का नाम मजनू का टीला पड़ गया।
यहां बसा है मिनी तिब्बत

मजनू के टीले को मिनी तिब्बत कहते हैं। यहां पर आने के बाद आपको ऐसा लगेगा कि आप तिब्बत में ही आ गए हैं। संकरी गलियों से गुजरते हुए यहां एक चौराहा पड़ता है। जहां पर तिब्बती चौराहा भी कहते हैं। यहां पर बड़े- बड़े घंटे लगे हुए हैं। जिसे देखने के लिए रोजाना काफी स्टूडेंट वहां पहुंचते हैं। बता दें कि ये जगह तिब्बती खाने की जगह के लिए भी काफी फेमस है। यहां पर आकर आप लजीज व्यंजनों का आनंद उठा सकते हैं



