शिक्षा का मकसद केवल डिग्री लेना नहीं: राज्यपाल का महत्वपूर्ण बयान, जानिए क्यों

**हजारीबाग: विनोबा भावे विश्वविद्यालय की 33वीं वर्षगांठ पर राज्यपाल का संदेश**
हजारीबाग: विनोबा भावे विश्वविद्यालय ने आज अपनी 33वीं वर्षगांठ धूमधाम से मनाई। इस खास मौके पर राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की लगातार सफलता गर्व का विषय है और यह दिन न केवल बीते समय की समीक्षा का है, बल्कि भविष्य की चुनौतियों और अवसरों पर विचार करने का भी है।
राज्यपाल ने शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री प्राप्त करना और रोजगार पाना नहीं होना चाहिए। समाज की बेहतर रचना और संवेदनशीलता के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण है। उन्होंने शिक्षण संस्थानों में बेहतर वातावरण, नियमित कक्षाएं, और शोध के स्तर में सुधार पर ध्यान देने की बात की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत शिक्षण संस्थानों को लचीला और समावेशी बनाने की दिशा में किए गए प्रयासों की सराहना की। इस नीति के तहत छात्रों को व्यावसायिक और नैतिक शिक्षा दोनों प्रदान की जा रही है।
कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई देते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में भारत तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है और ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य की ओर अग्रसर है।
कुलपति आईएएस सुमन कैथरीन किस्पोट्टा ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का विवरण प्रस्तुत किया। रजिस्ट्रार प्रोफेसर मुख्तार आलम ने पिछले वर्ष की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। शिक्षकों और गैर-शिक्षण स्टाफ को भी सम्मानित किया गया।
विनोबा भावे विश्वविद्यालय 17 सितंबर 1992 को रांची विश्वविद्यालय के विभाजन के बाद स्थापित हुआ था। यह विश्वविद्यालय भूदान आंदोलन से प्राप्त 67 एकड़ भूमि पर बना है। पहले यह विश्वविद्यालय सात जिलों के कॉलेजों को संलग्न करता था, लेकिन अब यह पांच जिलों के कॉलेजों को संचालित करता है। हाल ही में विश्वविद्यालय को 99.7 करोड़ रुपये की राशि से एक शोध केंद्र विकसित करने के लिए अनुदान मिला है।
विश्वविद्यालय की शुरुआत तीन कमरों और सात विषयों से हुई थी। अब यह एक समृद्ध परिसर के रूप में विकसित हो चुका है, जिसमें कई कॉलेज और एक शोध केंद्र शामिल हैं।



