वे दो दिवसीय दक्षिण अफ्रीका दौरे पर G20 विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने पहुंचे हैं।
G20 सत्र ‘वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति पर चर्चा’ को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि G20 दुनिया की बहुध्रुवीयता का महत्वपूर्ण उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि कोविड महामारी, संघर्ष की स्थितियां, वित्तीय दबाव, खाद्य सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति जटिल बनी हुई है।
जयशंकर ने कहा कि व्यापार और वित्त के हथियारकरण, आपूर्ति श्रृंखलाओं की केंद्रित स्थिति और डेटा प्रवाह की पारदर्शिता को लेकर भी चिंताएं बढ़ रही हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इलेक्ट्रिक वाहन, अंतरिक्ष, ड्रोन और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में प्रगति के अंतर से भी भू-राजनीतिक प्रभाव पड़ रहे हैं।
G20 हमारे हितों, संस्कृतियों और दृष्टिकोणों की विविधता को दर्शाता है, लेकिन इसके सामंजस्य की क्षमता ही इसे प्रभावी बनाती है।
उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में ध्रुवीकरण ने तनाव पैदा किया है और प्राथमिकताओं को विकृत किया है।
भारत की स्थिति स्पष्ट करते हुए जयशंकर ने वेस्ट एशिया, समुद्री सुरक्षा, यूक्रेन संकट, इंडो-पैसिफिक और संयुक्त राष्ट्र सुधारों पर भारत का पक्ष रखा।
उन्होंने कहा कि भारत गाजा संघर्षविराम और बंधकों की रिहाई का स्वागत करता है, मानवीय सहायता का समर्थन करता है, आतंकवाद की निंदा करता है और दो-राज्य समाधान का पक्षधर है।
लेबनान में संघर्षविराम बनाए रखना और सीरिया संकट का समावेशी समाधान ढूंढना भी महत्वपूर्ण है।
जयशंकर ने कहा कि इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता पूरी दुनिया के लिए आवश्यक है।
भारत समुद्री सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है और भारतीय नौसेना अरब सागर व अदन की खाड़ी में इसका सहयोग दे रही है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक समुद्री व्यापार को सामान्य स्थिति में लाना प्राथमिकता है।



