शिवराज सिंह चौहान को लेकर फैसले में देरी क्यों? ‘मामा’ ने भी ‘प्रेशर’ के लिए चली है बड़ी चाल
शिवराज सिंह चौहान, भारतीय जनता पार्टी के बड़े नाम हैं। एक ऐसा नेता जो भाजपा नेताओं में सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने का रेकॉर्ड बना चुके हैं। वह 17 साल से अधिक वक्त तक एमपी के मुख्यमंत्री रहे हैं। नई सरकार में उन्हें न ही मुख्यमंत्री पद मिला, न ही 31 मंत्रियों में उनका नाम शुमार है। इसके बावजूद वह अपनी गतिविधियों के कारण पिछले कुछ दिनों से चर्चा में हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि लंबे समय तक मध्य प्रदेश की सक्रिय राजनीति में मुख्यमंत्री जैसे पद पर रहने वाले शिवराज सिंह चौहान क्या अब खुद को पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं?
हमेशा सौम्य और शांत चित्त रहने वाले शिवराज सिंह की बौखलाहट पहली बार तब सामने आई थी, जबकि उन्होंने कार्यवाहक सीएम रहने के दौरान सीएम हाउस में प्रेस वार्ता की थी। चुनाव जीतने के बाद ‘दिल्ली न जाने’ के सवाल के जवाब में शिवराज ने कहा था कि मैं मरना पसंद करूंगा, लेकिन अपने लिए पद नहीं मांगूंगा।
इसके कुछ दिन बाद ही डॉक्टर मोहन यादव ने मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके बाद प्रदेश में मंत्रिमंडल भी गठित हो गया, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहीं नामों निशान नहीं दिखा। इसके बाद में शिवराज सिंह चौहान दिल्ली गए और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात भी की थी।
वनवास की बात की
शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर तब चर्चा में आए जबकि एक कार्यक्रम के मंच से उन्होंने ‘वनवास’ की बात कही। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कहीं ना कहीं कोई बड़ा उद्देश्य होगा यार, कई बार राजतिलक होते-होते वनवास भी हो जाता है। लेकिन वह किसी न किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए होता है। ये चिंता मत करना।



