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चीन की घटती आबादी से क्यों बढ़ी दुनिया की चिंता?

चीन की घटती आबादी दुनिया के लिए एक नए खतरे का इशारा कर रही है। आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर किसी देश की आबादी का घटना या फिर बढ़ना दुनिया के लिए परेशानी का सबब कैसे हो सकता है? लेकिन ये सच है और आने वाले वक्त में चीन की घटी आबादी का असर दुनियाभर में दिखेगा। न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे एक आर्टिकल में इस खतरे की बात कही गई है। अब भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन चुका है। चीन में लगातार सिकुड़ रही आबादी का असर न सिर्फ उसकी घरेलू अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा बल्कि पूरी दुनिया पर दिखेगा। दुनियाभर के अर्थशास्त्री और विशेषज्ञ क्यों इससे चिंतित हैं, आइए समझते हैं।सिकुड़ता वर्कफोर्स वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए ब्रेक का काम कर सकता है। वर्षों से चीन की विशाल वर्किंग-एज आबादी ग्लोबल इकॉनमी का इंजन रही है। वहां के फैक्ट्री वर्कर मामूली मजदूरी में सामानों का उत्पादन करते रहे हैं जिनका दुनियाभर में निर्यात होता है। आने वाले वक्त में चीन में फैक्ट्री वर्करों की कमी होगी जिसकी वजह है उच्च-शिक्षित वर्कफोर्स का बढ़ना और युवाओं की घटती आबादी। इससे चीन के बाहर सामानों की कीमतें तेजी से बढ़ सकती हैं। अमेरिका जैसे उन देशों में बेतहाशा महंगाई बढ़ सकती हैं जो मुख्य तौर पर चीन से सामानों के आयात पर निर्भर हैं। चीन में बढ़ते लेबर कॉस्ट की वजह से कई कंपनियां पहले ही वहां से अपनी मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स को हटाना शुरू कर चुकी हैं। कंपनियां वियतनाम और मेक्सिको जैसे सस्ते श्रम वाले देशों में अपने मैन्यूफैक्चरिंग ऑपरेशन को शिफ्ट कर रही हैं।

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