इंडिया टुडे के पास मौजूद एक्सक्लूसिव दस्तावेजों से अस्पताल में विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया में गड़बड़ी का खुलासा हुआ है।
खेडकर ने 2018 में हुए एक छोटे से हादसे का हवाला देते हुए विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था। लेकिन दस्तावेजों के मुताबिक, उस साल का कोई मेडिकल रिकॉर्ड चेक नहीं किया गया और उनकी जांच के दौरान कोई एमआरआई स्कैन नहीं किया गया। इसके अलावा, उन्होंने अस्पताल में फर्जी राशन कार्ड का इस्तेमाल किया था।
इस मामले की जांच पुणे कलेक्टर कार्यालय द्वारा शुरू की गई है। यह मामला कई सवाल खड़े करता है और विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया पर सवाल उठाता है।


