आचार संहिता का हवाला देकर झारखंड सरकार ने की कार्रवाई:दो केंद्रीय मंत्रियों को नहीं मिलेगा राजकीय अतिथि का दर्जा

झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान दो केंद्रीय मंत्रियों अन्नपूर्णा देवी और कपिल मोरेश्वर पाटिल को राज्य सरकार ने राजकीय अतिथि का दर्जा नहीं देने का निर्णय लिया है। केंद्रीय मंत्री राजकुमार रंजन सिंह को लेकर आज निर्णय हो सकता है। आकांक्षी जिलों में इन मंत्रियों के एक दिवसीय प्रवास का कार्यक्रम केंद्र सरकार की ओर से तय किया गया था। राज्य के 19 आकांक्षी जिलों में 19 मंत्रियों के प्रवास का कार्यक्रम निर्धारित किया गया था। मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने दो मंत्रियों से संबंधित पत्र उनके भ्रमण से संबंधित जिलों के उपायुक्तों को भेज दिया है, जबकि माना जा रहा है कि तीसरे मंत्री राजकुमार रंजन सिंह के संबंध में सोमवार को जारी होगा।
हालांकि इस बीच कुछ केंद्रीय मंत्रियों को देय सुविधाएं यथावत रहेंगीं। ज्ञात हो कि जिन मंत्रियों के कार्यक्रम में स्थानीय कार्यकर्ताओं अथवा भाजपा नेताओं से मिलना जुड़ा हुआ था, उनसे यह दर्जा छीना जा रहा है। जैसे-जैसे कार्यक्रम तय होते जाएंगे वैसे-वैसे कार्रवाई भी होगी। इस बीच, इन कार्रवाई पर भाजपा ने आपत्ति जताई है और इसे राजनीति से प्रेरित करार दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने सवाल उठाया है कि जब दलगत आधार पर चुनाव नहीं हो रहा है तब ऐसी कार्रवाई का औचित्य नहीं था।
राज्य सरकार के सूत्रों की मानें तो दोनों केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ आचार संहिता के तहत यह कार्रवाई की गई है। दोनों मंत्रियों की ओर से राज्य सरकार को जो कार्यक्रम भेजा गया था उसके तहत इन्हें जिले के अधिकारियों के अलावा स्थानीय प्रमुख लोगों से मिलना शामिल था। अन्नपूर्णा देवी का कार्यक्रम दुमका जिले में निर्धारित था तो सिमडेगा में कपिल मोरेश्वर पाटिल को पहुंचना था। प्रदेश के आकांक्षी जिलों में 19 केंद्रीय मंत्रियों के प्रवास का कार्यक्रम केंद्र सरकार की ओर से पहले ही तय किया गया था। नियमानुसान केंद्रीय मंत्रियों को राजकीय अतिथि का दर्जा मिलता है। राज्य सराकर ने आचार संहिता के तहत स्थानीय कार्यकर्ताओं से मुलाकात को राजनीतिक कार्यक्रम माना है और यह कार्रवाई की है। मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने इससे संबंधित पत्र संबंधित उपायुक्तों को भेज दिया है।
मंत्रियों को नहीं मिलेगा इन सुविधाओं का लाभ
राजकीय अतिथि का दर्जा मिलने पर मंत्रियों के आवासान, खानपान और वाहनों का प्रबंध राज्य सरकार के द्वारा किया जाता है। गाड़ियों में ईंधन तक सरकारी खर्चे से मिलता है। इनके लिए सरकारी स्तर से अब सिर्फ सुरक्षा का प्रबंध होगा। मंत्रियों को एक्स, वाई अथवा जेड जिस भी श्रेणी की सुरक्षा आवंटित की गई होगी, वह राज्य सरकार मुहैया कराएगी।
आचार संहिता के तहत इन आयोजनों पर रोक
– पंचायत क्षेत्र में नहीं दे सकेंगे अनुदान, उद्घाटन, शिलान्यास पर रहेगी रोक
– पंचायत चुनाव के लिए नहीं कर सकेंगे सरकारी वाहनों का उपयोग
– सरकारी दौरे के साथ प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से चुनाव प्रचार अभियान कार्य को मिश्रित करने पर रोक होगी।
– मंत्रियों द्वारा निर्वाचन के दौरान चुनाव कार्य अथवा चुनाव संबंधी यात्रा के लिए सरकारी वाहनों के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। हालांकि मंत्री सरकारी वाहनों का उपयोग सरकारी कार्य के दौरान कर सकेंगे।
इन दो प्रावधानों के आधार पर खत्म हुआ राजकीय अतिथि का दर्जा
1. आदर्श आचार संहिता के अध्याय दो की धारा 2.9 : केंद्र या राज्य के मंत्री सरकारी दौरों के कार्यक्रम को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से चुनाव प्रचार अभियान कार्य के साथ मिश्रित नहीं करेंगे तथा सरकारी तंत्र या कार्मिकों का उपयोग चुनाव प्रचार अभियान में नहीं करेंगे।
2. आदर्श आचार संहिता के अध्याय दो की धारा 2.17 : ऐसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है जब केंद्र या राज्य सरकार के मंत्री जिला मुख्यालय या क्षेत्रीय स्तर के अन्य कार्यालयों तक सरकारी कार्यों के सिलसिले में दौरे पर जाने के लिए सरकारी वाहनों का उपयोग करते हों और इसके बाद चुनाव कार्य हेतु स्थानीय दौरा किसी निजी वाहन के माध्यम से करते हों। ऐसी स्थिति में पूरे दौरा को चुनाव कार्य हेतु संपन्न किया गया माना जाएगा। इस तरह किसी भी परिस्थिति में सरकारी यात्रा तथा चुनाव कार्य हेतु यात्रा एक ही साथ करने के लिए सरकारी वाहनों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
आयोग ने स्पष्ट की स्थिति
मंत्रियों के सरकारी दौरे पर कोई रोक नहीं है। हालांकि सरकारी दौरे को पंचायत चुनाव प्रचार से नहीं जोड़ा जा सकता। चुनाव प्रचार करने पर सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं ले सकते। आदर्श आचार संहिता में इसे लेकर स्पष्ट प्रावधान है।
Source : Dainik Bhaskar



