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ईरान पर इजरायल के हमले के बाद तेल की कीमतें बढ़ीं.

विशेषज्ञ ने महंगाई, रुपये पर दबाव और ईंधन मूल्य फ्रीज की चेतावनी दी

नई दिल्ली: ईरान पर इजरायल के हालिया हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखा गया है। इस भू-राजनीतिक तनाव ने वैश्विक ऊर्जा बाजारों में अनिश्चितता बढ़ा दी है, जिसका सीधा असर भारत जैसे तेल आयातक देशों पर भी पड़ने की आशंका है। सुरभि गुप्ता की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई डिलीवरी के लिए मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर कच्चा तेल ₹57 या 0.99% बढ़कर ₹5,788 प्रति बैरल पर पहुंच गया, जिसमें 11,222 लॉट का सक्रिय कारोबार हुआ।

विशेषज्ञों ने इस बढ़ोतरी के संभावित परिणामों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। एक प्रमुख आर्थिक विशेषज्ञ ने चेतावनी दी है कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भारत में खुदरा महंगाई को और बढ़ा सकती हैं, जिससे आम उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा। इसके अलावा, यह भारतीय रुपये पर भी दबाव डालेगा, जिससे आयात और अधिक महंगा हो सकता है। विशेषज्ञ ने यह भी आगाह किया कि यदि सरकार घरेलू बाजार में ईंधन की कीमतों को नियंत्रित रखने का प्रयास करती है और उन्हें ‘फ्रीज’ करती है, तो इससे तेल विपणन कंपनियों (OMCs) पर भारी वित्तीय बोझ बढ़ सकता है।

तेल की कीमतों में यह वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक नई चुनौती पेश कर सकती है। उच्च तेल कीमतें न केवल परिवहन लागत को बढ़ाएंगी, बल्कि यह विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को भी प्रभावित कर सकती हैं, जिससे आम आदमी का बजट बिगड़ सकता है। सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक को अब इस स्थिति से निपटने के लिए संभावित उपायों पर विचार करना होगा ताकि बढ़ती महंगाई और रुपये पर दबाव को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सके।

 

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